इस दिन चावल की खीर बनाकर चंद्रमा के नीचे रखने से मिलते हैं गजब के फायदे

 आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा या आश्विन पूर्णिमा कहते हैं।

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा या आश्विन पूर्णिमा कहते हैं। इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं। इस पूर्णिमा में श्री हरि विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। इस बार यह पूर्णिमा 30 अक्टूबर 2020 को है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी रात में धरती पर विचरण करती हैं। इसलिए इसो कोजागरी पूर्णिमा का नाम दिया गया है।

इस दिव खासतौर पर चावल की खीर बनाकर चंद्रमा के नीचे रखी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अमृतवर्षा होती है। इसलिए चंद्रमा के नीचे रखी खीर खाने से कई प्रकार की परेशानिया खत्म होती हैं।बंगाली समुदाय में कोजागरी लक्खी पूजा के दिन दुर्गापूजा वाले स्थान पर मां लक्ष्मी की विशेष रूप से प्रतिमा स्थापित की जाती है और पूजा की जाती है।

शरद पूर्णिमा तिथि
शरद पूर्णिमा तिथि  प्रारंभ : 30 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 45 मिनट तक
शरद पूर्णिमा तिथि  समाप्त: 31 अक्टूबर को रात 08 बजकर 18 मिनट तक

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की भी विशेष पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इससे कई प्रकार की मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। शरद पूर्णिमा के दिन रातभर जाकर मां का जागरण किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जागरण करने वालों की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।

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