नवरात्रि पर कलश स्थापना के लिए थाली में जरूर रखें ये चीजें…
शारदीय नवरात्रि शुरू होने वाले हैं और मां शक्ति के भक्तों के लिए इनका विशेष महत्व है। पितृ पक्ष समाप्त होते ही 7 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो जाएंगे, जो कि 15 अक्टूबर तक चलेंगे।
शारदीय नवरात्रि शुरू होने वाले हैं और मां शक्ति के भक्तों के लिए इनका विशेष महत्व है। पितृ पक्ष समाप्त होते ही 7 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो जाएंगे, जो कि 15 अक्टूबर तक चलेंगे।
नवरात्रि में 9 दिनों तक 9 देवियों के अलग—अलग अवतार की पूजा की जाती है। हिंदु मान्यताओं के अनुसार 9 दिनों तक श्रद्धालु उपवास करते हं और माता को खुश करते हैं। कहा जाता है कि इन उपवासों को करने से देवी मां खुश होकर अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है
नवरात्रि में प्रतिपदा पर कलश स्थापना के बाद ही पूजा आरंभ होती है और कलश स्थापना के लिए पूजा सामग्री का होना जरूरी है। इसलिए कलश स्थापना से पहले पूजा सामग्री की लिस्ट बना लें। ताकि पूजा सम्पूर्ण हो और आपके परिवार पर देवी का आर्शीवाद बना रहे। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि में उपयोग होने की वाली पूजा सामग्री की लिस्ट।
पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट
लाल रंग की गोटेदार चुनरी, लाल रेशमी चूड़ियां, सिन्दूर, आम के पत्ते
लाल वस्त्र, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, धूप, अगरबत्ती, माचिस
चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, नारियल, दुर्गासप्तशती किताब
कलश, साफ चावल, कुमकुम, मौली, श्रृंगार का सामान
दीपक, घी/ तेल, फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, मेवे
लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, कपूर, उपले
फल/मिठाई, चालीसा व आरती की किताब, देवी की प्रतिमा या फोटो, कलावा,
हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ, धूप, पांच मेवा
घी, लोबान, गुगल, लौंग, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर।
ऐसे करें कलश की स्थापना
नवरात्रि की पूजा करने से पहले कलश की स्थापना की जाती है और इसका विशेष महत्व होता है। इसके लिए सबसे पहले मंदिर की साफ सफाई करें और फिर वहां लाल कपड़ा बिछाएं। कलश स्थापना के लिए तांबे, पीतल या मिट्टी के कलश का उपयोग किया जाता है। कलश 9 दिनों तक एक ही स्थान पर रहता है। कलश में गंगा जल या स्वच्छ पानी मिलाकर भर दें। इसके साथ ही कलश में सुपारी, इत्र, अक्षत सहित अन्य पूजन सामग्री डाल दें। इसके बाद कलश पर 5 अशोक के पत्ते रखें। अब नारियल पर लाल कपड़ा या चुन्नी लपेट कर पत्तों के उपर रख दें। ध्यान रखें कि नारियल और चुन्नी को रक्षा सूत्र सा बांधना चाहिए। इस तरह कलश स्थापना होती है।
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