कौशाम्बी: बकरे की मौत पर हिन्दू रीति रिवाज से किया अंतिम संस्कार

फिल्मों की दुनिया के बाद कौशाम्बी के एक शख्स ने पशु प्रेम कर हकीकत में मानवता की मिशाल पेश की है जैसे की आपने सन् 1971 में आई फिल्म हाथी मेरे साथी जरूर देखी होगी।  

फिल्मों की दुनिया के बाद कौशाम्बी के एक शख्स ने पशु प्रेम कर हकीकत में मानवता की मिशाल पेश की है जैसे की आपने सन् 1971 में आई फिल्म हाथी मेरे साथी जरूर देखी होगी।  उसमें राजेश खन्ना हाथी से बेहद प्रेम करते हैं और हाथी की मौत पर बहुत दुखी होते हैं।  फिल्मी पर्दे पर इंसान और जानवर के प्रेम की ये कहानी हकीकत में भी कई जगह नजर आती है।  ताजा मामला कौशाम्बी जिले के सिराथू तहसील क्षेत्र के गांव निहालपुर का है।  यहां रहने वाले राम प्रकाश यादव को एक बकरे से बेटे की तरह प्रेम था उसकी मौत पर उन्होंने हिंदू रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार किया इसमें गांव के ग्रामीण और पुरोहित भी शामिल हुए और 16 दिसंबर को मृतक बकरे कल्लू की तेहरवीं है।

बतादें की सिराथू तहसील के गांव निहालपुर के रहने वाले राम प्रकाश की शादी नहीं हुई है। उन्होंने एक बकरी पाल रखी थी। छह साल पहले बकरी ने एक बकरे को जन्म दिया था कुछ दिनो बाद बकरी की मौत हो गई थी इसके बाद रामप्रकाश ने उस बकरे को बेटे की तरह पाला पोसा और रामप्रकाश ने बकरे का नामकरण भी करवाया और उसका नाम कल्लू रखागया था। ग्रामीणों की माने तो रामप्रकाश बकरे कल्लू को बेटे की तरह पालता पोसता रहा।दो दिसंबर 2022 दिन को अचानक बकरे कल्लू की मौत हो गई।  तीन दिसंबर को रामप्रकाश ने हिंदू रीति रिवाज के अनुसार बकरे की अंतिम यात्रा निकाली।  पुरोहित ने विधि-विधान से अंत्येष्टि कर्म कराया। अब 16 दिसंबर को बकरे कल्लू की तेहरवीं होगी।  रामप्रकाश ने बताया कि बकरे से उन्हें बेहद लगाव था।  उन्होंने बेटे की तरह उसको पाला था।  उधर।  बकरे के प्रति उनका ऐसा लगाव देखकर हर कोई उनके इस प्रेम की तारीफ करते नहीं थक रहा है।

रिपोर्ट – मानसिंह विश्वकर्मा

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