कौशाम्बी: दलहनी वा तिलहनी फसलों के लिए नुक्सान और गेहू की फसल के लिए संजीवनी बन हुई बरसात

बरसात होने से जिले का पारा लुढ़क कर 10 डिग्री से कम पर पहुंच गया

यूपी के कौशाम्बी जनपद में बीते 24 घंटे से रुक रुक कर बरसा पानी, दलहनी व् तिलहनी फसलों को नुकसान, कृषि वैज्ञानिक बोले- 4 दिन हो सकती है बरसात, थोड़ी सावधानी बरते किसान भाई मौसम विभाग के पूर्व नुमान के अनुसार बृहस्पतिवार की सुबह से बरसात की बूंदो का क्रम पूरे दिन जारी रहा। बरसात होने से जिले का पारा लुढ़क कर 10 डिग्री से कम पर पहुंच गया। लोग ठण्ड से बचने के लिए घरो में दुबके रहे। बरसात से आम जन-जीवन भले ही अस्त व्यस्त नज़र आया हो लेकिन किसान भाइयों के लिए यह बरसात किसी अमृत से कम नहीं साबित होने वाली है। हालांकि दलहनी और तिलहनी फसलों को नुकसान होने की संभावना कृषि वैज्ञानिको ने जताई है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग से प्राप्त मौसम पूर्वानुमान के अनुसार 06 से 10 जनवरी 2022 के बीच घने बादल छाए रहने के कारण स्थानीय स्तर पर तेज हवाओं,गरज-चमक एवं ओलावृष्टि के साथ हल्की से मध्यम बर्षा होने की संभावना है केवीके वैज्ञानिक डा.मनोज कुमार सिंह ने बताया, बारिश से गेहूं समेत किसी अन्य अनाज की फसल को बिल्कुल नुकसान नहीं है। इससे किसान की एक सिंचाई की बचत होगी। ऊपर का पानी पौधे के सीधे ऊपर पड़ता है, वो अमृत के समान होता है। जहां ओलावृष्टि होगी वहां पर नुकसान संभव है। दलहनी और तिहलनी फसलों के लिए ये नुकसान दायक है। मटर आदि फलियां फट सकती है, पौधे जमीन पर गिर सकते हैं, जिसका असर उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर पड़ेगा। ओला जब पिघलता है उस जगह का तामपान और कम हो जाता है, उससे पौधों की जड़ों को भी नुकसान हो सकता है।” गिरते मौसम को गेहूं समेत दूसरी फसलों के उत्पादन के लिए बेहतर माना जाता है।

डॉ०मनोज सिंह- कृषि वैज्ञानिक कौशाम्बी

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