Karwa Chauth 2020: पूजा का सही तरीका, विधि और कथा जिससे जरूर सफल होगा आपका व्रत
करवाचौथ सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही खास त्योहार होता है। जिसकी तैयारियों हफ्तों पहले से शुरू हो जाती हैं। करवा चौथ का पावन पर्व आज बुधवार को मनाया जाएगा।
करवाचौथ सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही खास त्योहार होता है। जिसकी तैयारियों हफ्तों पहले से शुरू हो जाती हैं। करवा चौथ का पावन पर्व आज बुधवार को मनाया जाएगा।
अखंड सुहाग के लिए महिलाएं आज निर्जला व्रत रखेंगी। चाँद निकलते ही विधिपूर्वक पूजन करके अर्घ्य देंगी। परंपरा के अनुसार पति को चलनी से देखने के बाद व्रत का पारण करेंगी।
अपने सुहाग की रक्षा की कामना करेंगी
हर सुहागिन के लिए प्रेम का प्रतीक करवा चौथ खासा मायने रखता है। लेकिन इस बार कोरोना कालखंड ने पर्व के प्रति आस्था, उल्लास को सीमिच कर दिया है। इस का प्रभाव पारंपरिक पूजन, श्रृंगार, आभूषमों और कपड़ों पर दिख रहा है। लेकिन महिलाएं परंपरा के अनुसार पूजन अर्चन करके कोरोना से अपने सुहाग की रक्षा की कामना करेंगी।
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व्रत औऱ पूजन में महिलाएं पहले गले मिलकर और पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करती थी, लेकिन अब सोशल डिस्टेंसिंग के कारण पैर छूने से परहेज करेंगी। पति की ओर से दिए जाने वाले उपहार में इस बार डिजाइनर मास्क औऱ सेनिटाइजर दिए जाएंगे।
करवा चौथ पूजा मुहूर्त
पूजा समय शाम – शाम 6:04 से रात 7:19
उपवास समय सुबह – शाम 6:40 से रात 8:52
चौथ तिथि – सुबह 3:24 से 5 नवंबर सुबह 5:14 तक
चंद्रमा का उदय – 4 नवंबर रात 8.16 से 8:52 तक
ये है करवा चौथ की कथा
इस व्रत में पूरे दिन निर्जला रहा जाता है। व्रत में पूरा श्रृंगार किया जाता है। महिलाएं दोपहर में या शाम को कथा सुनती हैं। कथा के लिए पटरे पर चौकी में जलभरकर रख लें। थाली में रोली, गेंहू, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई, बायना का सामान आदि रखते हैं। प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत की जाती है।
गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इस बात का ध्यान रखें कि सभी करवों में रौली से सतियां बना लें। अंदर पानी और ऊपर ढ़क्कन में चावल या गेहूं भरें। कथा के लिए पटरे पर चौकी में जलभरकर रख लें। थाली में रोली, गेंहू, चावल, मिट्टी का करवा, मिठाई, बायना का सामान आदि रखते हैं। प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा से व्रत की शुरुआत की जाती है। गणेश जी विघ्नहर्ता हैं इसलिए हर पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके बाद शिव परिवार का पूजन कर कथा सुननी चाहिए। करवे बदलकर बायना सास के पैर छूकर दे दें। रात में चंद्रमा के दर्शन करें। चंद्रमा को छलनी से देखना चाहिए। इसके बाद पति को छलनी से देख पैर छूकर व्रत पानी पीना चाहिए।
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