कानपुर शूटआउट- विकास दूबे एनकाउंटर के बाद यूपी की जातीय सियासत गरमाई, योगी सरकार पर ब्राह्मण उत्पीड़न का आरोप…..

कानपुर शूटआउट- विकास दूबे एनकाउंटर के बाद यूपी की जातीय सियासत गरमाई, योगी सरकार पर ब्राह्मण उत्पीड़न का आरोप…..

उत्तर प्रदेश की सियासत में जातीय समीकरणों का बोलबाला हमेशा से रहा है..विकास दूबे के एनकाउंटर के बाद एक बार फिर प्रदेश में जातिगत राजनीति को हवा मिल रही है। उज्जैन में विकास दुबे के सरेंडर के बाद ऐसा माना जा रहा था कि अब उसका एनकाउंटर नहीं होगा। लेकिन, पुलिस ने इन कयासों को धता बताते हुए विकास दुबे का एनकाउंटर कर दिया।

इसके बाद पूरे राज्य में इस तरह की बहस चल रही हैं कि जब विकास दुबे ने सरेंडर कर दिया था तो उसका एनकाउंटर क्यों कर दिया गया? एनकाउंटर को विकास दुबे के ब्राह्राण होने से जोड़ जा रहा है। इन बहसों में कहा जा रहा है कि योगी सरकार के कार्यकाल के दौरान ब्राह्मणों का लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है।

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की……
लेकिन, इस मामले में कांग्रेस की रणनीति थोड़ी अलग दिखी। प्रियंका गांधी ने बिना किसी जातिगत एंगल के एनकाउंटर पर सवाल उठाए। लेकिन, प्रदेश के बड़े कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने अपने कांग्रेस पार्टी फोरम के बजाय ब्राह्मण चेतना परिषद के जरिये मुद्दे को उठाया।

…. उन्होंने एक पत्र जारी कर आरोप लगाया कि मौजूदा योगी सरकार में लगातार ब्राह्मणों की हत्याएं हुई हैं। उन्होंने पत्र में कहा कि ब्राह्मण उत्पीड़न की घटनाओं को अंजाम देने वालों पर कार्रवाई के बजाय इस सरकार में संरक्षण दिया जा रहा है…

कांग्रेस का फ़ोकस पुराना ब्राह्मण वोट बैंक:-

कांग्रेस 2019 अंत में भी पार्टी से ब्राह्मणों को जोड़ने की कोशिश कर चुकी है। क्योंकि कांग्रेस का सोचना है कि विकास दुबे कांड को लेकर ब्राह्मणों में गुस्सा है क्योंकि लोगों को लग रहा है कि सरेंडर करने के बाद उसे नहीं मारा जाना चाहिए था। यही बात धीरे-धीरे जातिगत सहानुभूति में बदल जाती है। कांग्रेस इसी नाराजगी को भुनाकर ब्राह्मणों को अपने पाले में करना चाहती है।

योगी सरकार बनने के बाद से ही चल रही है ब्राह्मण बनाम ठाकुर की बहस…

यहां एक राजनीतिक पंडितों के मानना है कि…यह गुस्सा योगी सरकार से ज्यादा पुलिसिया कार्रवाई के खिलाफ है, एनकाउंटर पर सपा, कांग्रेस और बसपा सभी ने सवाल उठाया है। ब्राह्मणों में गुस्सा भी है लेकिन यदि विपक्ष चुनाव तक इस गुस्से को बनाये रखने में सफल होता है तभी इसका कोई राजनीतिक मतलब है।

याद करें तो..योगी सरकार में ही रायबरेली में 5 ब्राह्मणों का सामूहिक हत्या हुई थी। उस समय भी समुदाय में खूब गुस्सा था। लेकिन 2019 लोकसभा चुनावों में भाजपा को यूपी में विपक्ष के गठबंधन के बावजूद जोरदार जीत हासिल हुई।

जानकार मानते हैं कि योगी सरकार को लेकर शुरु से यह धारणा रही है कि इस सरकार में ब्राह्मणों की उपेक्षा की जा रही है। ट्रांसफर-पोस्टिंग में ठाकुर अधिकारियों को तरजीह देने के आरोप भी लगते रहे हैं। प्रदेश के वरिष्ठ अफसरों के गुट भी ऐसी बातों का अंदरखाने समर्थन करते रहे हैं।

हालांकि, चुनावी राजनीति में ब्राह्मण बनाम ठाकुर की इन चर्चाओं का बहुत असर नहीं दिखा। 2017 में ठाकुर समुदाय के योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी 2019 के लोकसभा चुनावों में भी भाजपा को ब्राह्राणों का भरपूर समर्थन मिला।

बीजेपी आईटी सेल दे रहा सफाई..

विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद समाज के एक वर्ग में गुस्सा है। इसका एहसास प्रदेश की भाजपा सरकार को भी है। चूंकि, ब्राह्मण वोटर पिछले दो चुनावों से भाजपा के पक्ष में खुलकर रहा है। ऐसे में इस समुदाय की नाराजगी भारी पड़ सकती है। इसलिए भाजपा के आईटी सेल की ओर से लगातार इस तरह के लेख-पोस्ट आ रहे हैं कि विकास दुबे एक अपराधी था और उसके एनकाउंटर से जाति का कोई संबंध नहीं है।

भाजपा आईटी सेल द्वारा वायरल किए जा रहे ऐसे पोस्टों में यह दिखाने की कोशिश की जाति है कि प्रदेश सरकार अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है और पुलिस ने सभी जातियों के अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की है।

विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद सोशल मीडिया पर झलकी ब्राह्मण होने की शान और दर्द…

फेसबुक पर शिवम ब्राह्मण दादा भाई के नाम के एक यूज़र अपने फेसबुक लाइव में ये बात कहते हैं. वो आगे जोड़ते हैं, ‘दुबे पर फिल्म बनाने की हिम्मत मत करना. हम थिएटरों में आग लगा देंगे.’.

यूपी के ब्राह्मणों द्वारा एक साफ संदेश देने की कोशिश की गई है- ये ठाकुर और ब्राह्मणों के बीच की लड़ाई है.

दरअसल कई ब्राह्मण अब ठाकुर बिरादरी से आने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ की सरकार गिराने की बात कर रहे हैं. वो भाजपा को यूपी में होने वाले 2022 के विधानसभा चुनावों की याद दिला रहे हैं. वो खुद को ब्राह्मणों और ठाकुरों के बीच इस जातीय प्रतिद्वंदिता के शिकार के रूप में देख रहे हैं.

यही बात गोरखपुर में 2018 के विधानसभा उपचुनाव के दौरान सबसे अधिक दिखाई दी थी. गोरखनाथ मठ के वर्चस्व को लेकर चल रही इस प्रतिद्वंदिता को तब और ज्याद बल मिला जब भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भूमिहार मनोज सिन्हा की अनदेखी करते हुए योगी आदित्यनाथ को सीएम चुना…..

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ब्राह्मण विरोधी होने का ठप्पा लगाने वाले कहते हैं कि मार्च 2017 में योगी सरकार के आते ही 22 अप्रैल को गोरखपुर में पूर्व मंत्री और एक जमाने में पूर्वांचल में खास धमक रखने वाले हरिशंकर तिवारी के आवास (हाता) पर पुलिस ने छापा मारा था. और शायद जीवन में पहली बार हरिशंकर तिवारी खुद जुलूस में पैदल चलते नजर आए थे.

योगी पर ठाकुराई करने का आरोप लगाने वाले कहते हैं कि बात ज्यादा पुरानी नहीं है. जब शाहजहांपुर में एक छात्रा के रेप के आरोपी पूर्व सांसद और मंत्री चिन्मयानंद को योगी पुलिस सिर्फ इस लिए बचाती रही क्योंकि वह ठाकुरों को नाराज नहीं करना चाहते थे. इसी लिए चिन्मयानंद तो गिरफ्तारी के बाद भी अस्पताल में रहे लेकिन, पीड़िता को वसूली के आरोप में जेल में डाल दिया गया है.

उन्नाव के भाजपा नेता और विधायक कुलदीप सेंगर के मामले में भी विपक्षी दलों ने कुछ ऐसे ही आरोप लगाए थे. उनका कहना है कि क्षत्रिय होने के कारण दोनों को सरकार की ओर से संरक्षण मिलता रहा. समाजवादी पार्टी तो शुरू से आरोप लगा रही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में एक विशेष जाति को अधिक तवज्जो दी जा रही है.

‘क्षत्रिय कनेक्शन’ के कारण कुलदीप सिंह सेंगर व चिन्मयानंद को इतने लंबे समय तक बचाया गया. जिस तरह से विकास की मौत पर एक जाति विशेष से जोड़कर बयानबाजी हो रही है,उससे तो यही लगता है कि यह मसला अभी और गरमाएगा.

ब्राह्मण समाज हर पार्टी की जरूरत….

भारतीय जनता पार्टी को कभी भी सवर्णों या ये कहें कि ब्राह्मणों की पार्टी कभी नही कहा गया…नब्बे के दशक के अंत तक ब्राह्मण कांग्रेस के सबसे महत्वपूर्ण वोटबैंक होते थे….लेकिन कांग्रेस में होने वाली अंदरखाने की राजनीति के वजह से ब्राहमण दूर होता चला गया…धीरे धीरे ये अलग अलग पार्टियों में समयांतराल के बाद शिफ्ट होता गया….

मुलायम यादव की बनाई समाजवादी पार्टी में ब्राह्मण को हमेशा सम्मान दिया गया…उदाहरण के तौर पर जनेश्वर मिश्रा जिन्हें आज भी छोटे लोहिया के तौर पर याद किया जाता है…मुलायम यादव उन्हें हमेशा अपने दाहिने रखते थे….इसी तरह ब्रजभूषण तिवारी को ब्राह्मण चेहरा बनाकर संसद भेजा जाता रहा….
फिर आया मौजूदा अध्यक्ष अखिलेश यादव का दौर ,जिसमे उनके मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में-

 

स्वर्गीय जनेश्वर मिश्र के नाम पर एशिया का सबसे बड़ा पार्क जनेश्वर मिश्र पार्क देकर ब्राह्मण समाज को सम्मान का संदेश दिया गया….

– समाजवादी सरकार में विधानसभा अध्यक्ष माताप्रसाद पांडे को बना कर फिर से सम्मान का संदेश दिया गया…

-अखिलेश यादव की उत्तर प्रदेश सरकार में अभिषेक मिश्रा, मनोज पांडे कैबिनेट में शामिल कर मंत्री बनाया….

– अयोध्या से विधायक तेजनारायण पांडेय , राजा चतुर्वेदी, गाजीपुर के विजय मिश्रा को राज्यमंत्री बनाया गया….

– 2017 चुनाव में समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मण समाज के युवा चेहरों रोहित कुमार शुक्ला “लल्लू शुक्ला” मिर्ज़ापुर के मझवां से , पीडी तिवारी को बरहज सहित अंबेडकर नगर सहित पूर्वांचल में ब्राह्मणों को अच्छे तादात में टिकट दिए गए….

-2017 चुनाव में जीत कर आये कानपुर से अमिताभ बाजपेयी ब्राह्मण समाज से ही अभी विधायक हैं…..

– समाजवादी पार्टी में फ्रंटल संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय समिति तक ब्राह्मणों को यथा सम्मान देते हुए उन्हें भरपूर जगह दी गयी है….

ब्राह्मण समाज की जरूरत समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव नेताजी हमेशा से समझते रहे हैं…और उन्ही की विरासत को मौजूदा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे अभी तक बचाकर रखा है….

बाकी दलों की बात करें तो समयानुकूल,सुविधानुसार, अवसरवादी राजनीति को अपनाते हुए बीएसपी से लेकर बीजेपी सभी ने ब्राह्मणों का दोहन ही किया है….लेकिन विगत 3 वर्षों के लेखा जोखा में ब्राह्मण समुदाय कुछ ज्यादा ही हाशिये पर चला गया है…..

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