कानपुर बर्रा अपहरण कांड- यूपी की हाईटेक पुलिस से भरोसा उठा, घटना के महीने भर में नतीजा सिफर,पुलिस के हाथ खाली

Kanpur Barra Kidnapping Case : पिछले करीब महीने भर से कानपुर शहर सुर्खियों ने है, सुर्खियां फेलियर पुलिस की कार्यशैली को लेकर है। कानपुर में अभी विकास दुबे का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि एक युवक के अपहरण ने पुलिस की भूमिका और उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठा दिए हैं.

बीते 22 जून यानी ठीक एक महीने पहले अपहृत हुए युवक के बारे में पुलिस अब तक कोई जानकारी नहीं जुटा पाई है. अपहृत युवक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस के कहने पर उन्होंने कथित अपहर्ताओं को तीस लाख रुपये की फिरौती दे दी है, लेकिन बंधक का अभी तक पता नहीं है.

Kanpur Barra Kidnapping Case सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर साधा निशाना :-

  • घटनाक्रम- कानपुर में बर्रा के रहने वाले चमन सिंह यादव के बेटे संजीत कुमार गत 22 जून की शाम से ही लापता हो गए थे.
  • परिजनों ने बर्रा निवासी राहुल यादव पर बेटे का अपहरण करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में एक तहरीर दी थी.

पुलिस ने राहुल को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की लेकिन इस दौरान 29 जून की चमन सिंह यादव के पास कथित अपहर्ताओं का फोन आया और फोन पर ही तीस लाख रुपये की फिरौती की मांग की गई. परिजनों का आरोप हैं कि पुलिस वालों के कहने पर उन्होंने फिरौती की रकम का इंतजाम किया और पुलिस के माध्यम से उसे दिया भी गया लेकिन न तो संजीत का कुछ पता चला है और न ही अपहर्ताओं का सुराग लगा.

संजीत के पिता चमन सिंह यादव के अनुसार “पहले पुलिस मेरे बेटे को एक हफ्ते तक ढूंढ नहीं पाई. जब किडनैपर्स का फोन फिरौती के लिए आया तो पुलिस ने हमें फिरौती देने को कहा और बोली कि जिस टाइम फिरौती की रकम लेने बदमाश आएंगे उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

लेकिन बदमाश फिरौती की रकम लेकर आसानी से निकल गए और पुलिस उन्हें ढूंढती ही रह गई.
  • हमारे पैसे भी चले गए और बेटे का कुछ पता भी नहीं चल सका.”
  • संजीत कुमार एक अस्पताल में लैब टेक्नीशियन की नौकरी करता था.
  • 22 जुलाई की शाम को वह अपने कुछ दोस्तों के साथ घूमने गया था लेकिन वापस नहीं आया.
  • परेशान परिजनों ने अगले दिन पुलिस को इस बात की सूचना दी और एफआईआर दर्ज कराई.
  • कोई मदद न मिलने और संजीत का कुछ भी पता न चलने के बाद परिजनों ने उच्चाधिकारियों से भी संपर्क किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
  • पुलिस ने संजीत के कई दोस्तों से भी पूछताछ की है
  • लेकिन अपहर्ताओं तक वह अभी तक नहीं पहुंच पाई है.
पुलिस ने दिलवाई फिरौती
  • किडनैपर्स ने पैसे पाने के बाद भी संजीत को नहीं छोड़ा,
  • इस वजह से पीड़ित परिवार काफी डरा हुआ है.
  • परिजनों का आरोप है कि किडनैपर्स उन्हें बार-बार एक ही नंबर से फोन कर रहे हैं
  • फिर भी पुलिस उन्हें नहीं ढूंढ़ पा रही है.
  • पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने के अलावा संजीत के परिजनों पर बयान बदलवाने का भी आरोप लग रहा है.

पहले परिजनों ने मीडिया में अपना बयान बदलते हुए कहा था कि जो बैग किडनैपर्स को दिया गया था, उसमें पैसे नहीं, बल्कि कपड़े भरे थे. लेकिन बाद में परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने दबाव बनाकर उनसे ये बयान देने को कहा था. चमन सिंह यादव कहते हैं, “पुलिस ने कहा कि अगर पैसे की बात करोगे तो तुम्हारे बेटे की जान को खतरा हो सकता है.”

उत्तर प्रदेश से पुलिस और अपराधियों की साठगांठ की खबर आती है, ऐसे में संजीत की बहन रुचि के अनुसार “हम लोगों ने अपना मकान बेच कर किडनैपर्स को तीस लाख रुपये दिए, पुलिस ने यकीन दिलाया था कि फिरौती लेने आए किडनैपर्स को वो दबोच लेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ”.

हालांकि कानपुर की पुलिस अधीक्षक (दक्षिण) अपर्णा गुप्ता ने इस बात से इनकार किया है कि पुलिस ने कोई फिरौती दिलाई है या फिर अपहर्ताओं को कोई फिरौती दी गई है. उन्होंने दावा किया है कि जल्द ही मामले को सुलझा लिया जाएगा.

  • इस बारे में कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी कहते हैं,
  • “किडनैप हुए युवक को सकुशल बरामद किया जाएगा, साथ ही फिरौती की रकम भी जल्द वापस होगी.
  • यदि इस मामले में पुलिसकर्मी दोषी हुए तो उन्हें भी सख्त सजा दी जाएगी.”
कानपुर एसएसपी के घटना के पटाक्षेप को लेकर दिलासा दिए भी काफी समय हो चुका है, नतीजा सिफर है।
  • एसएसपी दिनेश कुमार ने चार दिन के भीतर युवक की बरामदगी का भरोसा दिया था.
  • यह अवधि भी बीत गई लेकिन ना तो अपहृत युवक का पता चला और ना ही अपहरणकर्ताओं का।
  • आलम ये है कि अब एसएसपी दिनेश कुमार इस मामले में बात करने से बचते नजर आते हैं।
पुलिस का सर्विलांस सेल फेल
  • इधर एक महीना बीत जाने के बाद भी युवक के वापस नहीं लौटने से परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है.
  • परिजनों ने बताया कि 30 लाख की फिरौती लेने के बाद से अपहरणकर्ताओं का कोई फोन भी नहीं आया है।
  • ऐसे में परिजन पुलिस की बातों पर भरोसा कर घर में बैठकर अपने जवान बेटे के लौटने का इंतजार कर रहे हैं।
  • पूरे घटनाक्रम में पुलिस की सर्विलांस सेल पूरी तरह फेल हो गयी है।

पान की गुमटी से परिवार का गुजर-बसर करने वाले संजीत के पिता चमन लाल अब भगवान भरोसे ही हैं। इधर कानपुर पुलिस से घटनाक्रम पर सवाल पूछने पर अगला सवाल पूछने का निर्देश दिया जाता है, पुलिस इस सवाल को “वैकल्पिक” की तरह छोड़ देती है।

यूपी पुलिस इन दिनों अपने फजीहत को लेकर लगातार चर्चा में है, एक घटना कई अनुत्तरित सवालों के इंतज़ार में है, लिहाजा हम भी तब तक इंतजार करते हैं…!!

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