कानपुर: आज के दिन खुलता है 153 साल पुराना रावण का मंदिर ,भक्तों का उमड़ा जनसैलाब

कानपुर के शिवाला में रावण का मंदिर है जो सिर्फ विजय दशमी (दशहरा) के दिन ही खुलता यहां रावण के जन्मों उत्सव के रूप में 1 दिन के लिए यह मंदिर खोला जाता है तथा रावण दहन के मुहूर्त के बाद यह पूरे 1 वर्ष के लिए बंद कर दिया जाता है।

कानपुर: कानपुर के शिवाला में रावण का मंदिर है जो सिर्फ विजय दसवीं (दशहरा) के दिन ही खुलता यहां रावण के जन्मों उत्सव के रूप में 1 दिन के लिए यह मंदिर खोला जाता है तथा रावण दहन के मुहूर्त के बाद यह पूरे 1 वर्ष के लिए बंद कर दिया जाता है। यहां रावण की पूजा एक विद्वान के रूप में होती है कहां जाता है रावण चारों वेदों का ज्ञाता था जब वह पूजा करता था तो भगवान विष्णु अपनी चारों भुजाओं से उसकी रक्षा करते थे ब्रह्माजी द्वारा वेदों का उच्चारण होता था तथा भगवान शिव शंकर भोलेनाथ स्वयं प्रकट होकर पूजा में उपस्थित होते थे।

पूरा देश जहां आज रावण दहन कर खुशियां मनाएगा, वही कुछ लाेग एेसे भी हैं जाे रावण के सौ साल पुराने मंदिर में विशेष अराधना करते हैं। यह पूजा केवल दशहरे के दिन ही हाेती है।

कानपुर के शिवाला में स्थित देश के एकलौते दशानन मंदिर में दशहरा के दिन सुबह से भक्त रावण की पूजा अर्चना करने के लिए आते है। आइए जानते है किस तरह होती है रावण की पूजा अर्चना।

यह मंदिर साल में एक बार विजयादशमी के दिन ही खुलता है और लोग सुबह-सुबह यहां रावण की पूजा करते हैं। दशानन मंदिर में शक्ति के प्रतीक के रूप में रावण की पूजा होती है और श्रद्धालु तेल के दिए जलाकर मन्नतें मांगते हैं।

परंपरा के अनुसार आज सुबह आठ बजे मंदिर के कपाट खोले गए और रावण की प्रतिमा का साज श्रृंगार किया गया। इसके बाद आरती हुई। आज शाम मंदिर के दरवाजे एक साल के लिये बंद कर दिए जाएंगे।

महानगर के घने इलाके के कैलाश मंदिर परिसर में रावण के मंदिर में हर वर्ष दशहरा पर पूजा होती है। लगभग 153 साल पुराने मंदिर के पट सुबह 8 बजे से खुलेंगे। यहां संतान की दीर्घायु, ज्ञान व विद्या की कामना कर रावण के मंदिर में तरोई के फूल चढ़ाए जाते हैं। रावण शक्तिशाली होने के साथ प्रकांड विद्वान था। तरोई के फूल शक्ति साधक को प्रसन्न करने के लिए चढ़ाए जाते हैं।

नीरज तिवारी की रिपोर्ट

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