IPS वैभव कृष्ण ने पावर का दुरुपयोग कर बेगुनाह को फंसाया, जांच में आरोप निराधार
नोएडा में एसएसपी के पद पर रहते हुए आईपीएस वैभव कृष्ण ने पावर का जमकर दुरुपयोग किया और बेगुनाह लोगों को झूठे मामलों में फंसाकर जेल तक पहुंचा दिया.
नोएडा में एसएसपी के पद पर रहते हुए आईपीएस वैभव कृष्ण ने पावर का जमकर दुरुपयोग किया और बेगुनाह लोगों को झूठे मामलों में फंसाकर जेल तक पहुंचा दिया. आईपीएस वैभव कृष्ण(IPS Vaibhav) ने कई ऐसे ऐसे बेगुनाहों को गलत मामलों में फंसाकर जेला भेजा जिन्हें बाद में कोर्ट की तरफ से क्लीनचिट मिली और पुलिस की तरफ से लगाए गए सभी आरोप निराधार साबित हुए. हालांकि वैभव कृष्ण(IPS Vaibhav) ने इन फर्जी मामलों से यूपी पुलिस और योगी सरकार की भद्द भी जमकर पिटवाई और आखिरकार उन्हें निलंबित कर दिया गया. वर्तमान में डीजीपी ऑफिस से अटैच चल रहे आईपीएस वैभव कृष्ण(IPS Vaibhav) का एक अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसके बाद उन्हें सस्पेंड किया गया था. अब एक और मामले ने पावर के गलत इस्तेमाल की परत खोलकर रख दी है.
वैभव कृष्ण के हिसाब से हुई जांच
आईपीएस वैभव कृष्णा पिछले ने पिछले साल फर्जीवाड़े से 10 साल तक गनर रखने के मामले में अजय यादव को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. आईपीएस वैभव कृष्णा(IPS Vaibhav) ने अजय यादव पर आरोप लगाया था कि, उन्होंने कोर्ट के फर्जी आदेश के नाम पर 10 साल तक गनर लेकर घूम रहे थे. फर्जी आदेश पर गनर लेने का आरोप लगाकर अजय यादव को वैभव कृष्णा की पुलिस ने जेल पहुंचा दिया. मामले की जांच कर रहे तत्कालीन सीओ थर्ड विमल कुमार ने अपनी जांच में भी फर्जी तरीके से आदेश कराकर गनर लेने के आरोप को सही करार दे दिया था. एसएसपी को सौंपी गई रिपोर्ट में सीओ विमल कुमार ने दोषी ठहराया था. जिसके आधार पर वैभव कृष्णा ने अजय यादव और उनके दोनों भाई के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया था. मुकदमा कराने के चंद घंटे बाद ही पुलिस ने अजय यादव को गिरफ्तार कर लिया और उनके दोनों भाई अमित यादव और अरुण यादव को नामजद कर दिया. वैभव कृष्णा की पुलिस ने मामले की चार्जशीट भी आनन-फानन में तैयार करके लगा दी. इसके साथ ही दोनों भाइयों अरुण यादव और अमित यादव को भगोड़ा साबित करते हुए जांच करने वाले अफसर ने कुर्की के आदेश दे दिए.
पावर का दुरुपयोग कर वैभव कृष्णा खेलते थे खेल
लेकिन वैभव कृष्णा जिस ईमानदारी की चादर के नीचे से खेल कर रहे थे उसको उतरते देर नहीं लगी और उनके काले कारनामों की फेहरिस्त सामने आने लगी. जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया और नोएडा-लखनऊ में कमिश्नरी सिस्टम लागू कर दिया गया. इसके बाद अजय यादव को कोर्ट ने जमानत दे दी. अजय यादव के परिवार ने वैभव कृष्णा की जांच और कार्रवाई कर सवाल उठाते हुए शासन से निप्षक्ष जांच कराए जाने की मांग की. परिवार की मांग को ध्यान में रखते हुए कमिश्नर आलोक सिंह ने मामले की जांच एसीपी नोएडा रणविजय सिंह को सौंप दी. जब मामले की जांच शुरू हुई तो पता चला कि, जिस कोर्ट के आदेश पर अजय यादव गनर लेकर चल रहे थे वो फर्जी नहीं थे. बल्कि उन्हें वैभव कृष्णा के इशारों पर फर्जी तरीके से फंसाया गया था.
वैभव कृष्णा ने पारिवारिक विवाद का सहारा लेकर झूठे मुकदमे में फंसाया
दरअसल, वैभव कृष्णा ने पारिवारिक विवाद का सहारा लेकर अजय यादव और उनके भाइयों पर झूठा मुकदमा लाद दिया और जांच करने वाले अफसरों ने भी अपने मालिक के इशारों पर अजय यादव को आरोपी साबित कर दिया. आरटीआई के जरिए पुलिस से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद पता चला कि, उनके खिलाफ की गई कार्रवाई साजिश के तहत थी. जबकि ये सारा मामला उनकी बहन प्रीति यादव और अजय यादव के बीच संपत्ति बंटवारे को लेकर चल रहा था. आरोप है कि, प्रीति यादव के जेठ विशाल यादव के संबंध तमिलनाडु कैडर के एक डीआईजी स्तर के आईपीएस (जो वर्तमान में यूपी में डेप्यूटेशन पर थे जिन्हें हाल ही में निलंबित किया जा चुका है) हैं. इन्हीं के इशारे पर ये सारा षड़यंत्र रचा गया था. जिसमें विल यादव की पत्नी की शिकायत पर वैभव कृष्णा ने पूरी रणनीति के तहत अजय यादव को फंसाया और उनका साथ पूरी नोएडा पुलिस ने दिया.
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असली दस्तावेजों को दरकिनार कर की गई जांच
जांच के दौरान अजय यादव की तरफ से वो सारे दस्तावेज दिए गए जिसमें साफ-साफ कोर्ट का आदेश था जिसकी वजह से उन्हें गनर मिला हुआ था. लेकिन जांच कर रहे सीओ थर्ड विमल कुमार सिंह ने उन दस्तावेजों को ताक पर रखकर अपनी जांच रिपोर्ट में अजय यादव को दोषी ठहरा दिया.
ईमानदार अफसर ने सच्चाई को किया उजागर
पुलिस उपायुक्त नोएडा रणविजय सिंह जिन्होंने वैभव कृष्णा के सारे षड़यंत्र का काला चिट्ठा खोलकर मामले की सच्चाई को उजागर किया उनकी गिनती उन चुनिंदा अफसरों में की जाती है, जो ईमानदारी के साथ अपनी ड्यूटी करते हैं और उसे ही अपना धर्म मानते हैं. एसीपी रणविजय सिंह नोएडा पहुंचने से पहले जहां भी तैनात रहे वहां पर उनकी ईमानदारी के चर्चे खूब हुए. रणविजय सिंह को ना सिर्फ आला अधिकारी सम्मान देते हैं और इनके कामों की सराहना करते हैं बल्कि जनता भी इनकी मुरीद हो जाती है.
अब बात करते हैं उनकी जो लखनऊ और नोएडा में लागू किए गए कमिश्नरी सिस्टम के खिलाफ खड़े हैं. दरअसल, वो ऐसे लोग हैं जिनका सारा धंधा कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद चौपट हो गया है. अब किसी बेगुनाह को गलत तरीके से फंसा नहीं पाने वाले लोग बेचैन हो रहे हैं और कमिश्नरी सिस्टम की मुखालफत कर रहे हैं. लेकिन कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस महकमे में सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं. जो जांच पहले सालों चलती थी वो अब चंद महीनों में निष्पक्ष तरीके से खत्म हो रही है.
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