जीवन पर भारी पड़ता नशा, भविष्य हो रहा तबाह…
भारत में नशे का कारोबार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह की मौत और ड्रग कनेक्शन को लेकर पूरे देश में घर घर और चौक चौराहों पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। ICMR की रिपोर्ट्स में इस बात की साफ पुष्टि होती है कि नशे का काला कारोबार हमारे समाज की नशों को निचोड़ रहा है।
मीडिया रिपोर्टों में वालीबुड में नशे को लेकर रोजाना हो रहे खुलासे से लोग हतप्रभ है। नारकोटिक्स ब्यूरो के मुताबिक टेलीवीजन के कलाकारों में भी नशे जैसे तम्बाकू, ड्रग्स इत्यादि की अधिक डिमांड है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नशे के सौदागार दूसरे देशों से इन ड्रग्स को भारत मंगाता था।
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ये ड्रग्स कूरियर या इंटरनेशनल पोस्ट के जरिए भारत के बाजार में आते थे। नारकोटिक्स ब्यूरो ने ड्रग का धंधा करने वाले अनेक सौदागरों को गिरफ्तार किया है। नशे की सामग्री कहाँ से आती है और कैसे लोगों के पास पहुँचती है इसके व्यापक अनुसन्धान में सरकारी एजेंसियां जुटी है। हमारे समाज में नशे को सदा बुराइयों का प्रतीक माना और स्वीकार किया गया है। देश में नशे की अधिकांश सामग्री पर रोक है पर ये धड़ल्ले से बाजार में मिल जाती है। शराब के अतिरिक्त गांजा, अफीम और अन्य अनेक प्रकार के नशे अत्यधिक मात्रा में प्रचलित हो रहे हैं।
शराब कानूनी रूप से प्रचलित है तो गांजा-अफीम आदि देश में प्रतिबन्धित है ओर इनका क्रय-विक्रय चोरी छिपे होता है। नशे के लिए समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और धूम्रपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक दवाओं और पदार्थों का उपयोग किया जा रहा है। नशा एक ऐसी बुराई हैं जो हमारे समूल जीवन को नष्ट कर देता हैं। नशे की लत से पीडि़त व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता.
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युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत से पीडि़त हैं। नशे के रूप में लोग शराब, गाँजा, जर्दा ,ब्राउन.शुगर, कोकीन ,स्मैक आदि मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं,जो स्वास्थ्य के साथ सामाजिक और आर्थिक दोनों लिहाज से ठीक नहीं हैं। शराब और अन्य मादक पदार्थों के सेवन से पेट और लीवर खराब होते हैं। इससे मुख में छाले पड़ सकते हैं और पेट का कैंसर हो सकता है। पेट की नलियों और रेशों पर इसका असर होता है, यह पेट की अंतडिय़ों को नुकसान पहुंचाती है। इससे अल्सर हो जाता है, जिससे गले और पेट की नली में सूजन आ जाती है और बाद में कैंसर भी हो सकता है।
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इसी तरह गांजा और भांग जैसे पदार्थ इंसान के दिमाग पर बुरा असर डालते हैं ।ध्रूमपान से फेफड़े में कैंसर होता हैं, वहीँ कोकीन ,चरस ,अफीम लोगों में उत्तेजना बढ़ाने का काम करती हैं, जिससे समाज में अपराध और गैरकानूनी हरकतों को बढ़ावा मिलता हैं। इन नशीली वस्तुओं के उपयोग से व्यक्ति पागल और सुप्तावस्था में चला जाता हैं। तम्बाकू के सेवन से तपेदिक ,निमोनिया ,साँस की बीमारियों का सामना करना पड़ता हैं।
इसके सेवन से जन और धन दोनों की हानि होती हैं। शराब, गांजा और भांग सहित हर प्रकार के मादक द्रव्यों का नशा इंसान को तबाही की ओर ले जाता है। समाज में पनप रहे विभिन्न प्रकार के अपराधों का एक कारण नशा भी है। नशे की प्रवृत्ति में वृध्दि के साथ-साथ अपराधियों की संख्या में भी वृध्दि हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शराब को छोडक़र दुनिया में लगभग पांच करोड़ लोग मादक पदार्थों के सेवन से जुड़े हैं। देश में नशाखोरी में युवावर्ग सर्वाधिक शामिल है।
आभा भारद्वाज मनोचिकित्सक की माने तो युवाओं में नशाखोरी की लत तेज़ी से फैल रही है, जिसके कारण उनका और हमारा भविष्य अंधकार में जा रहा है। नशे के बढ़ते चलन के पीछे बदलती जीवन शैली, परिवार का दबाब, परिवार के झगड़े, इन्टरनेट का अत्यधिक उपयोग, एकाकी जीवन, परिवार से दूर रहने, पारिवारिक कलह जैसे अनेक कारण हो सकते हैं ।
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