अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: इस लेडी ने 8 मार्च को बना दिया खास, संघर्षों की कहानी जानकर करेंगे सलाम

तकरीबन 110 साल पहले साल 1910 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी. इसका आइडिया क्लारा जेटकिन नामक एक महिला का था. क्लारा जेटकिन मार्क्सवादी थिंकर और सामाजिक कार्यकर्ता थीं. वह महिलाओं के अधिकारों के सवाल पर लगातार सक्रिय रहीं.

पूरी दुनिया भर में 8 मार्च को विश्व की प्रत्येक महिलाओं के सम्मान के लिए उत्सव के रूप में मनाया जाता है. अलग कीर्तिमान स्थापित कर चुकीं महिलाओं को इस दिन दुनियाभर में सम्मानित भी किया जाता है. लेकिन महिलाओं को सम्मान, बढ़ावा और सुरक्षा देना ही सही मायने में महिला दिवस मनाना है.

डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में साल 1910 में कामकाजी औरतों की एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयोजित हुई. कॉन्फ्रेंस में क्लारा जेटकिन नामक इन महिला ने पहली बार इंटरनेशनल वुमेन्स डे मनाने का सुझाव दिया था. तकरीबन 17 देशों की 100 से अधिक महिलाएं उस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थीं. इस सुझाव का सभी ने समर्थन किया.

इसके बाद साल 1911 में सबसे पहले ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड देशों में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया. हालांकि जब क्लारा जेटकिन ने महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया था, तब कोई दिन या तारीख नहीं दिया गया था.

इसके बाद साल 1917 की बोल्शेविक क्रांति के दौरान रूस की महिलाओं ने ब्रेड एंड पीस की मांग की. वहां के सम्राट निकोलस को दबाव के कारण पद छोड़ना पड़ा. इसके बाद वहां की अंतरिम सरकार ने महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया. रूस के तत्कालीन जूलियन कैलेंडर के अनुसार, जिस दिन महिलाओं ने यह हड़ताल शुरू की थी तब 23 फरवरी की तरीख थी.

ग्रेगेरियन कैलेंडर में यह दिन 8 मार्च था, इसके बाद से ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाने लगा. साल 1975 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को आधिकारिक मान्यता दी. वार्षिक तौर पर एक थीम के साथ मनाने की शुरूआत संयुक्त राष्ट्र ने की. बता दें कि हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की एक थीम होती है. सबसे पहले महिला दिवस की थीम थी ‘सेलीब्रेटिंग द पास्ट, प्लानिंग फॉर द फ्यूचर.’

Related Articles

Back to top button