नई दिल्ली : संवैधानिक उपायों कि मांग के बजाए पढ़ाई में ध्यान लगाएं : सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने छात्र द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनते हुए कहा की वायरस से हुई क्षति को पूर्णता नाकारा नहीं जा सकता
उच्चतम न्यायलय ने दिल्ली के 12वीं को एक क्षेत्र को फटकार लगते हुए कहा है की वो अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे न की क़ानूनी याचिकाओं पर। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूण व न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने छात्र द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनते हुए कहा की वर्तमान में कोविद की दूसरी लहर थमी है।
विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर की आशंका व कोरोना वायरस से हुई क्षति को पूर्णता नाकारा नहीं जा सकता है। साथ ही उन्होंने कहा की अनुछेद 21 ए के लागू हो के बाद राज्य सरकारें छह से चौदह वर्ष तक के बच्चों की मुफ्त शिक्षा को अनिवार्य कर दिया गया है। इसके चलते अब राज्य सरकारें जवाबदेह है।
न्यायाधीश जी ने कहा की छात्र अपनी मांग दिल्ली सरकार से सामने रख सकता है। याचिकाकर्ता के वकील रवि प्रकाश महरोत्रा से कहा की वो अपने मुवक्किल से कहे की वो अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें न की क़ानूनी याचिकावों पर अपना समय गंवाएं।
गौरतलब हो की दिल्ली के एक छात्र ने सुप्रीम कोर्ट पर याचिका दायर करते हुए ये अपील की थी कि ऑनलाइन पढ़ाई के बदले ऑफलाइन पढ़ाई हो। जिसपर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
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