भारत के लोकतंत्र ने दुनिया के सामने आदर्श स्थापित किया है: रामनाथ कोविंद

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत लोकतंत्र के विश्व व्यापी आदर्श के रूप मे उभरा है और सशक्त निर्वाचन तंत्र के जरिए भारत निर्वाचन आयोग ने पूरी दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया है।

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत लोकतंत्र के विश्व व्यापी आदर्श के रूप मे उभरा है और सशक्त निर्वाचन तंत्र के जरिए भारत निर्वाचन आयोग ने पूरी दुनिया के सामने उदाहरण प्रस्तुत किया है।

भारत निर्वाचन आयोग की ओर से 11 वें मतदाता दिवस पर यहां आयोजित समारोह के दौरान राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग के 72 वें स्थापना दिवस पर देशवासियों को बधाई देते हुए अपने वर्चुअल संबोधन में कहा कि हमारे जीवंत लोकतन्त्र के संचालन में चुनाव प्रक्रिया की प्रमुख भूमिका है।

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उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया की सफलता का आधार हमारे जागरुक मतदाता हैं। उन्होंने उन सभी युवा मतदाताओं को बधाई दी जिन्हें पहली बार मतदान का अधिकार प्राप्त हुआ है। कोविंद ने कहा,“ स्वाधीनता प्राप्ति के बाद भारत के संविधान के माध्यम से रोपे गए लोकतंत्र के पौधे की जड़ें, लगभग ढाई हजार साल पुरानी गणतंत्र की मिट्टी से पोषण प्राप्त कर रही हैं। इसीलिए आज जब पूरी दुनिया में लोकतांत्रिक संस्थाओं के कमजोर होते जाने की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं, तब भारत में लोकतंत्र मजबूत होता जा रहा है। वैशाली, कपिलवस्तु और मिथिला की परंपरा से भारत ने यह सीखा है कि शासन पर समाज के किसी एक वर्ग या वंश का एकाधिकार नहीं होता है। लोकतंत्र में ‘लोक’ यानी जनता की इच्छा ही सर्वोपरि होती है। गांधीजी के ‘ग्राम स्वराज’ से प्रेरित हमारे संविधान के ‘पंचायती-राज’ में, भारत की इसी परंपरा की सहज अभिव्यक्ति देखी जा सकती है।”

राष्ट्रपति ने कहा, “ भारत की चुनाव प्रक्रिया के सफल संचालन से प्रेरित होकर, विश्व के अनेक देशों ने हमारी चुनाव प्रणाली का अध्ययन करने में रुचि दिखाई है। स्वतंत्रता-प्राप्त करने के लगभग 75 वर्षों के भीतर ही भारत लोकतन्त्र के एक विश्व-व्यापी आदर्श के पोषक के रूप में उभरा है। इस उपलब्धि में, निर्वाचन आयोग से लेकर साधारण नागरिकों तक का अमूल्य योगदान है। ”
उन्होंने कहा, “हम सभी को मतदान के बहुमूल्य अधिकार का सदैव सम्मान करते रहना चाहिए क्योंकि मतदान का अधिकार कोई साधारण अधिकार नहीं है और इसके लिए दुनिया भर में लोगों ने बहुत संघर्ष किया है। ”

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