Indian Railway – गंदे खाने में निपटे झूठे दावे ,6 महीने में 3700 शिकायते
शुक्रवार को चित्रकूट एक्सप्रेस की एसी फस्ट के यात्री हैरी लखनऊ जंक्शन से जबलपुर के लिए सवार हुए, एसी फस्र्ट में अटेंडेंट ने उनको जो बेडरोल दिया,वह बहुत गंदा निकला।
यह बेडरोल लखनऊ जंक्शन पर ही बनी मैकेनाइज्ड लांड्री से साफ होकर निकले थे। कुछ इसी तरह साबरमती एक्सप्रेस से लखनऊ से झांसी जा रहे प्रेम सिंह धूमन को एसी सेकेंड बोगी में बेडरोल मिला तो उसकी तकिया का कवर गंदा था। खाकी लिफाफे में रखी दोनों चादरें भी इस्तेमाल की हुईं थी.
सोशल मीडिया के जरिए रेलवे के कंट्रोल रूम को जानकारी हासिल हुई हैं, टीटीई (Travelling Ticket Examiner) के पास मिलने वाली शिकायत पुस्तिका में ऐसी शिकायतों का जिक्र तक नहीं हो रहा है। रेलवे में पिछले छह महीनों में आयी शिकायतों में से सबसे अधिक मामले गंदे बेडरोल के सामने आए हैं।
छह महीनें में आयी 3700 शिकायतों में से 1369 शिकायतें गंदे बेडरोल, बेडरोल न देने और उसके नाम पर वसूली करने की आयी हैं। पिछले दिनों ही जम्मूतवी वाराणसी बेगमपुरा एक्सप्रेस में बी-2 में नौ व 12 पर कुंवर श्रीवास्तव सवार हुए, उनको रास्ते में बेडरोल ही नहीं दिया गया ।
क्या इसमें प्रॉफिट का खेल है।
दरअसल, रेलवे अपने ठेकेदार को हर पैकेट पर धुलाई का 26 रुपये का भुगतान करता है, एक पैकेट में दो चादर, एक तकिया कवर और एक छोटी तौलिया होती है।
मुनाफाखोरी के लिए ठेकेदार चादर और तकिया कवर को दो से अधिक बार इस्तेमाल करता है, उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में एक लाख से अधिक चादरों का भंडार है।
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