वक्फ सम्पत्तियों की खरीद-बिक्री में हजारों-करोड़ के घोटाले का मामला, आजम खान से अतीक अहमद तक जांच की आंच

उत्तर प्रदेश में वक्फ सम्पत्तियों को मनमाने तरीके से बेचे जाने के मामले में शुरू हुई सीबीआई की जांच की जद में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी के अलावा पूर्व सांसद और जेल में बंद बाहुबली माफिया अतीक अहमद और जेल में बंद पूर्व मंत्री आजम खान भी आ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में वक्फ सम्पत्तियों (Waqf properties) को मनमाने तरीके से बेचे जाने के मामले में शुरू हुई सीबीआई की जांच की जद में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी के अलावा पूर्व सांसद और जेल में बंद बाहुबली माफिया अतीक अहमद और जेल में बंद पूर्व मंत्री आजम खान भी आ रहे हैं। इसके लिए सीबीआई ने 20 नवंबर को विधिवत वसीम रिजवी व अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। मामले में सीबीआई कभी भी अतीक अहमद का बयान लेने के लिए अहमदाबाद जेल जा सकती है। सीबीआई की जांच के दायरे में अतीक के अलावा समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर के सांसद तथा पूर्व मंत्री आजम खान भी आ सकते हैं? क्योंकि गड़बड़ियों के वक्त विभाग के मंत्री वही थे। उस समय वसीम रिजवी उन्ही के करीबी माने जाते थे। 
जानकारी के अनुसार वक्फ सम्पत्तियों (Waqf properties) में घोटाले का यह मामला अतीक अहमद के बेहद करीबी वकार रिज़वी को प्रयागराज के इमामबाड़े का मुतवल्ली बनाए जाने के बाद ही शुरू हुआ था। वकार रिज़वी के मुतवल्ली बनने के बाद ही प्रयागराज के इमामबाड़े की बिल्डिंग को गिराकर कामर्शियल काम्प्लेक्स बनाया गया था। कामर्शियल काम्प्लेक्स बनाने का काम भी अतीक के करीबी बिल्डर को दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक पर्दे के पीछे से अतीक ने ही यह पूरा गेम खेला था। अतीक के रसूख के चलते ही शिया समुदाय के पुरजोर विरोध के बावजूद इमामबाड़े को गिराकर वहां 64 दुकानों का निर्माण कर कामर्शियल काम्प्लेक्स बना दिया गया, इस तोड़फोड़ में करोड़ों रुपये का खेल हुआ था।

शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद सहित कई लोगों ने की थी शिकायत

शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहते हुए वसीम रिजवी पर साल 2016 में इमामबाड़ा गुलाम हैदर त्रिपोलिया, ओल्ड जीटी रोड प्रयागराज पर अवैध रूप से दुकानों का निर्माण कराने का आरोप है, इस मामले में शिकायत हुई तो क्षेत्रीय अवर अभियंता सुधाकर मिश्रा ने 7 मई 2016 को निरीक्षण के बाद पुराने भवन को तोड़कर किए जा रहे अवैध निर्माण को बंद करा दिया था। लेकिन बाद में फिर से निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया था, इसे रोकने के लिए शिया धर्मगुरु मौला कल्बे जव्वाद सहित कई लोगों ने सरकार को पत्र लिखे, फिर भी निर्माण कार्य बदस्तूर जारी रहा। इमामबाड़ा गुलाम हैदर में चार मंजिला मार्केट खड़ी कर दी गई थी, जिसके लेकर वसीम रिजवी के खिलाफ 26 अगस्त 2016 को आईपीसी की धारा 447/441के तहत एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी।

कानपुर में वक्फ की बेशकीमती संपत्ति में भी घोटाले का आरोप

वसीम रिजवी के खिलाफ दूसरी एफआईआर लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में 27 मार्च 2017 को दर्ज की गई थी, ये वही समय था जब सूबे में अखिलेश सरकार की सत्ता से विदाई हुई और योगी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी थी। ये मामला कानपुर देहात के सिकंदरा में शिया वक्फ बोर्ड में दर्ज 2704 की जमीनों के रिकॉर्डों में घपलेबाजी और मुतवल्ली तौसीफुल को धमकाने का था। इस मामले में रिजवी और वक्फ बोर्ड के अधिकारियों पर 27 लाख रुपये लेकर कानपुर में वक्फ की बेशकीमती संपत्ति का पंजीकरण निरस्त करने और पत्रावली से कागजात गायब करने का आरोप हैं।

शिया और सुन्नी के बीच बंटी हुई है वक्फ की संपत्तियां

वक्फ बोर्ड एक कानूनी निकाय होता है, जिसका गठन साल 1964 में भारत सरकार ने वक्फ कानून 1954 के तहत किया था। वक्फ बोर्ड का मकसद भारत में इस्लामिक इमारतों, संस्थानों और जमीनों के सही रखरखाव और इस्तेमाल को देखना था। वक्फ में चल और अचल दोनों ही संपत्तियां शामिल होती हैं, इसमें कंपनियों के शेयर, अचल संपत्तियों के सामान, किताबें और पैसा भी शामिल होता है। यूपी और बिहार में वक्फ संपत्तियां शिया और सुन्नी के बीच बंटी हुई है, जिसके चलते इनके अध्यक्ष भी अलग-अलग होते हैं। इसके अलावा बाकी जगह सिर्फ वक्फ बोर्ड है, जिसमें सारी वक्फ संपत्तियां आती हैं।

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