बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बाहर निकलकर खेलना है बेहद जरूरी, होता है यह फायदा
बच्चों को घर से स्कूल भेजने वाले परिजन सोच सकते हैं कि बच्चों को संगठित खेलों और शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त कर वे फिट रहते हैं, लेकिन युवाओं को इसकी और ज्यादा जरूरत होती है।
बच्चों को घर से स्कूल भेजने वाले परिजन सोच सकते हैं कि बच्चों को संगठित खेलों और शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त कर वे फिट रहते हैं, लेकिन युवाओं को इसकी और ज्यादा जरूरत होती है।
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आज कल बच्चे अपना सारा समय कम्प्यूटर, टीवी और वीडियो गेम्स खेलने में निकाल देते हैं। ऐसे में वह न तो घर के बाहर दूसरे बच्चों के साथ घुल-मिल पाते हैं और न ही बाहर खेलना पसंद करते हैं। जिससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास भी काफी प्रभाव पड़ता है। हाल ही में एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि बच्चों को घर से स्कूल भेजने वाले परिजन सोच सकते हैं कि बच्चों को संगठित खेलों और शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त कर वे फिट रहते हैं, लेकिन युवाओं को इसकी और ज्यादा जरूरत होती है।
बच्चों के बाहर खेलने को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि समस्या इस बात को जानने को लेकर है कि आखिर कितनी सक्रियता संगठित जीवनशैली के लिए जरूरी है। परिजनों को अपने बच्चों को प्रतिदिन शारीरिक गतिविधियों के लिए और ज्यादा समय देना चाहिए। कबीरी ने कहा, परिजन जानते हैं कि अगर वे अपने बच्चों को तेज सांस लेते हुए और पसीना छोड़ते हुए नहीं देखेंगे तो इसका मतलब वे पर्याप्त परिश्रम नहीं कर रहे हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि, शारीरिक गतिविधियों के लिए और अवसर होने चाहिए। अपने बच्चों को बाहर लाएं और उन्हें दौडऩे, पड़ोसी बच्चों के साथ खेलने दें और उन्हें बाइक्स चलाने दें। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, बच्चों को एक दिन में मुख्य रूप से एक घंटे की एरोबिक गतिविधि करनी चाहिए। लेकिन अन्य शोधों में पाया गया कि गैर-कुलीन स्पोर्ट्स में शामिल बच्चों को सिर्फ 20-30 मिनट में ही पर्याप्त परिश्रम कर लिया था।
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