अगर आप भी पाना चाहते हैं मनचाहा जीवनसाथी तो अपनाएं ये अचूक टोटके

अपने मन चाहे जीवनसाथी को पाने की चाहत हर किसी की होती है। इतना ही नहीं माता पिता भी अपने बेटे और बेटियों के लिए उत्तम वर वधु की तलाश में रहते है। तो चलिए हम आपकी तलाश को पूरा करने के लिए अचूक उपाय बताते है। 

अपने मन चाहे जीवनसाथी को पाने की चाहत हर किसी की होती है। इतना ही नहीं माता पिता भी अपने बेटे और बेटियों के लिए उत्तम वर वधु की तलाश में रहते है। तो चलिए हम आपकी तलाश को पूरा करने के लिए अचूक उपाय बताते है।

मान्‍यता है क‍ि ये उपाय सुयोग्‍य वर-वधु पाने में काफी मददगार साबित होते हैं। ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के मुताबिक अगर क‍िसी कन्‍या के लिए सुयोग्‍य जीवनसाथी न म‍िल रहा हो तो उसे ‘कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नंदगोप सुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नमः।’ मंत्र का जप करना चाहिए।

घर के मंद‍िर में ही यह जप करना होगा

ध्‍यान रखें क‍ि इस मंत्र के कुछ न‍ियम हैं। यह जप न‍ियमित रूप से 21 द‍िनों तक कन्या को स्वयं करना होता है। जप के बाद इसी मंत्र के अंत में ‘स्वाहा’ शब्द लगाकर 11 आहुतियां देनी चाहिए।कन्‍या को यह ध्‍यान रखना होगा क‍ि मंत्र जप के लिए स्‍थान और समय दोनों ही न‍ियत करना होता है। यानी कि अगर मंत्र की शुरुआात आप सुबह 9 बजे अपने ही घर के मंदिर में करते हैं तो 21 द‍िनों तक आपको 9 बजे और घर के मंद‍िर में ही यह जप करना होगा।

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अविवाहित युवक को देवी दुर्गा का ध्‍यान करना चाहिए

इसके साथ ही आसन का भी ध्‍यान रखना होता है। अगर पहले द‍िन लकड़ी के पाटन पर बैठे हैं तो 21 द‍िनों तक उसी आसन पर बैठकर जप करना होगा। ज्‍योत‍िष के मुताबिक यह न‍ियम टूट जाए तो मनोकामना पूरी नहीं होती।ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के मुताबिक यदि वधु की तलाश तो अविवाहित युवक को देवी दुर्गा का ध्‍यान करना चाहिए।

न‍ियम के अनुसार भगवती के सामने एक वह घी का दीपक जलाकर किसी एकांत स्थान में न‍ित्‍यकर्म से न‍िवृत्‍त होकर उच्‍च स्वर में 108 बार पाठ करें। मान्‍यता है क‍ि यदि जातक उच्‍च स्‍वर से मातारानी का स्‍मरण करे तो उसकी सुयोग्‍य पत्‍नी पाने की मनोकामना जल्‍दी ही पूरी हो जाती है। लेकिन यहां भी इस बात का ध्‍यान रखना है क‍ि जप का समय, स्‍थान और आसन एक ही रहेगा।

अर्गला स्तोत्र के 24वें श्लोक का ही जप कर लें

देवी माता का यह जप 21 द‍िनों तक न‍िरंतर रूप से करना होता है।ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के मुताबिक जातक यद‍ि न‍ियम‍ित रूप से 51 द‍िनों तक दुर्गा सप्तशती में द‍िए गये ‘अर्गला- स्तोत्र’ का पाठ करना चाहिए। इसका पाठ करने से भी मनभावन पत्‍नी म‍िलती है। ध्‍यान रखें क‍ि यदि अर्गला-स्तोत्र का पूर्ण पाठ करने में सक्षम नहीं हैं तो अर्गला स्तोत्र के 24वें श्लोक का ही जप कर लें।

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इसे अपनी श्रद्धानुसार 51 या 108 बार पूर्ण श्रद्धा और न‍िष्‍ठा से जप करें। इससे पत‍ि के साथ ही घर-पर‍िवार की खुश‍ियों का ख्‍याल रखने वाली पत्‍नी म‍िलती है।ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के मुताबिक वर या वधु ज‍िस भी कामना से आप मंत्रों का जप करें उसके न‍ियमों को भूलकर भी न तोड़ें। इसमें देवी दुर्गा का स्‍मरण करना हो या फिर अर्गला स्‍तोत्र का पाठ करना हो।

इसे कृष्ण पक्ष की अष्टमी या चतुर्दशी तिथि से शुरू करें और मनोकामना पूरी होने तक करते रहें। जप के समय स्‍वयं और पूजन स्‍थल की शुद्धता का पूरा ख्‍याल रखना चाहिए। साथ ही भगवती की पूजा में जल, पुष्प, फल, मेवा-मिष्ठान्न, रोली-कुमकुम, गंध और लाल चंदन का प्रयोग करें। सप्ताह में कम से कम एक ब्राह्मण व दो कन्याओं को भोजन जरूर करवाएं। इससे मनोकामना जल्‍दी पूरी होती है।

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