बलिदान, त्याग और शौर्य की बुंदेलखंड की धरती को सिर झुकाकर प्रणाम करता हूं – पीएम मोदी
जवन धरती पय हमाई रानी लक्ष्मीबाई जुने आजादी के लाने अपनो सबई न्योछावर कर दयो, वा धरती के वासियन खों हमाओ हाथ जोड़ के प्रणाम पहुंचे। झांसी ने तो आजादी के अलग जगाई हती, इते कि माटी के कण-कण में वीरता और देश प्रेम बसो है। झांसी की वीरंगना रानी लक्ष्मीबाई जुको हमाओ कोटि-कोटि नमन..
बलिदान, त्याग और शौर्य की बुंदेलखंड की धरती को सिर झुकाकर प्रणाम करता हूं। ये झांसी, रानी लक्ष्मीबाई की ये धरती बोल रही है-
मैं तीर्थ स्थली वीरों की
मैं क्रांतिकारियों की काशी
मैं हूँ झांसी, मैं हूँ झांसी,
मैं हूँ झांसी, मैं हूँ झांसी
इस धरती पर आकर मुझे एक विशेष कृतज्ञता की अनुभूति होती है, एक विशेष अपनापन लगता है। इसी कृतज्ञ भाव से मैं झांसी को नमन करता हूं, वीर वीरांगनाओं की धरती बुंदेलखंड को सिर झुकाकर प्रणाम करता हू।
मैं झांसी के एक और सपूत मेजर ध्यानचंद जी का भी स्मरण करना चाहूंगा, जिन्होंने भारत के खेल जगत को दुनिया में पहचान दी, अभी कुछ समय पहले ही हमारी सरकार ने देश के खेलरत्न अवार्ड्स को मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखने की घोषणा की है। .
मैं नमन करता हूँ इस धरती से भारतीय शौर्य और संस्कृति की अमर गाथाएँ लिखने वाले चंदेलों-बुंदेलों को, जिन्होंने भारत की वीरता का लोहा मनवाया।
मैं नमन करता हूँ बुंदेलखण्ड के गौरव उन वीर आल्हा-ऊदल को, जो आज भी मातृ-भूमि की रक्षा के लिए त्याग और बलिदान के प्रतीक हैं।
ये धरती रानी लक्ष्मीबाई की अभिन्न सहयोगी रहीं वीरांगना झलकारी बाई की वीरता और सैन्य कौशल की भी साक्षी रही है। मैं 1857 के स्वाधीनता संग्राम की उस अमर वीरांगना के चरणों में भी नमन करता हूँ, अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
आज एक ओर हमारी सेनाओं की ताकत बढ़ रही है, तो साथ ही भविष्य में देश की रक्षा के लिए सक्षम युवाओं के लिए जमीन भी तैयार हो रही है। ये 100 सैनिक स्कूल जिनकी शुरुआत होगी, ये आने वाले समय में देश का भविष्य ताकतवर हाथों में देने का काम करेंगे। .हमारी सरकार ने सैनिक स्कूलों में बेटियों के एड्मिशन की शुरुआत की है। 33 सैनिक स्कूलों में इस सत्र से गर्ल्स स्टूडेंट्स के एड्मिशन शुरू भी हो गए हैं..सैनिक स्कूलों से रानी लक्ष्मीबाई जैसी बेटियाँ भी निकलेंगी जो देश की रक्षा-सुरक्षा, विकास की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर उठाएंगी। मेरे पीछे ये ऐतिहासिक झांसी का किला, इस बात का जीता जागता गवाह है कि भारत कभी कोई लड़ाई शौर्य और वीरता की कमी से नहीं हारा। .रानी लक्ष्मीबाई के पास अगर अंग्रेजों के बराबर संसाधन और आधुनिक हथियार होते, तो देश की आज़ादी का इतिहास शायद कुछ और होता।
लंबे समय से भारत को दुनिया के सबसे बड़े हथियार खरीदार देशों में गिना जाता रहा है। .लेकिन आज देश का मंत्र है- मेक इन इंडिया,मेक फ़ॉर वर्ल्ड। आज भारत अपनी सेनाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रहा है।
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