क्रिसमस त्योहार की कैसे हुई शुरुआत? जानें इतिहास
ईसाइयों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार क्रिसमस विश्व भर में 25 दिसम्बर को खूब हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
ईसाइयों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार क्रिसमस विश्व भर में 25 दिसम्बर को खूब हर्षोल्लास से मनाया जाता है। क्रिसमस की पूर्व संध्या यानि 24 दिसंबर से ही क्रिसमस से जुड़े कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं। यूरोपीय और पश्चिमी देशों में इस दौरान खूब रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत में गोवा राज्य में क्रिसमस की काफी धूम रहती है इसके अलावा विभिन्न शहरों की बड़ी चर्चों में भी इस दिन सभी धर्मों के लोग एकत्रित होकर प्रभु यीशु का ध्यान करते हैं। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर लोग प्रभु की प्रशंसा में कैरोल गाते हैं और क्रिसमस के दिन प्यार व भाईचारे का संदेश देने एक दूसरे के घर जाते हैं।
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इस दिन ईसाई धर्म के लोग इस दिन को ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं। लेकिन इस बात की पुष्टी बाइबल में नहीं मिलती कि इनका जन्म इसी दिन हुआ था। दरअसल शुरुआत में ईसा मसीह के जन्म दिवस को लेकर ईसाई समुदाय में मतभेद था। क्योंकि इनकी जन्म तारीख के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन 360 ईस्वी के आस पास रोम के एक चर्च में ईसा मसीह के जन्मदिन पर पहली बार समारोह किया गया। लेकिन अभी भी क्रिसमस मनाने की तारीखों को लेकर मतभेद बना रहा। लंबी बहस और विचार विमर्श के बाद चौथी शताब्दी में 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्मदिवस घोषित कर दिया गया। इसके बावजूद इसे प्रचलन में आने में समय लगा। 1836 में अमेरिका में क्रिसमस को कानूनी मान्यता मिली और 25 दिसंबर को हॉलीडे भी घोषित की गई।
संत निकोलस का जन्म 340 ईस्वी में 6 दिसंबर को मनाया जाता था और इसे लेकर ये मान्यता थी कि 25 दिसंबर की रात को संत निकोलस बच्चों के लिए उपहार लेकर के आते हैं। इस संत निकोलस का नाम सांता क्लॉज हो गया। सारे बच्चे सांता क्लॉज के नाम से बुलाते है और उनका इंतजार करते है। कहा जाता है कि बचपन में ही इनके माता पिता का देहांत हो गया था। बड़े होने के बाद वह एक पादरी बन गए औऱ उन्हें लोगों की मदद करना काफी पसंद था। कहा जाता है कि वे गरीब बच्चों और लोगों को अर्धरात्रि में इसलिए गिफ्ट देते थे ताकि उन्हें कोई देख न पाए।
क्रिसमस ट्री की शुरुआत उत्तरी यूरोप में कई हजार साल पहले हुई थी। उस दौरान फेयर नाम के एक पेड़ को सजाकर विंटर फेस्टिवल मनाया जाता था। धीरे धीरे क्रिसमस ट्री का चलन हर जगह फैल गया। हर कोई इस मौके पर पेड़ घर पर लाने लगा। इसके अलावा एक कहानी ये भी है कि जीसस के जन्म के समय खुशी व्यक्त करने के लिए सभी देवताओं ने सदाबहार वृष को सजाया तब से ही इस पेड़ को क्रिसमस ट्री के नाम से जाना जाने लगा।
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