Hindi Diwas 2021: हिन्दी दिवस की इस महत्ता को आप भी नहीं जानते होंगें

14 सितंबर को हर साल भारत में हिन्दी दिवस के तौर पर मनाया जाता है.

14 सितंबर को हर साल भारत में हिन्दी दिवस(Hindi Diwas) के तौर पर मनाया जाता है । हिंदी ,हमारी मातृभाषा , सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में बोली जाती है, इसी वजह से हिंदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली चौथी भाषा है और भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है ।  आज का दिन ऐसा दिन है जिस दिन हिंदी न बोलने वाले लोग भी हिंदी को याद करते हैं, और एक दूसरे को हिन्दी बोलने की नसीहत देते हैं। हिंदी दिवस देश में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।

वैसे आपको बता दें कि पूरी दुनिया में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस(Hindi Diwas) के रूप में मनाया जाता है और इस हिसाब से भारत में दो बार हिंदी दिवस मनाया जाता है , एक 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिन्दी दिवस के तौर पर और दूसरा 10 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी दिवस के तौर पर ।

हिंदी कैसे बनी मातृ भाषा –

देश आजाद होने के बाद 1949 में संविधान सभा ने 14 सितंबर को ही हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था। इसके बाद इस ऐतिहासिक दिन को महत्व देने के लिए और इस दिन को याद  रखने के लिए रखने के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार  ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। हालांकि, 14 सितंबर ,1953 में पहली बार आधिकारिक रूप से पहला हिंदी दिवस मनाया गया था।

हिन्दी दिवस(Hindi Diwas) को मनाने का उदेश्य पूरे देश में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देना है और लोगों को इस बात से रूबरू करना है की जब तक वो हिन्दी भाषा का प्रयोग नहीं करेंगे तब तक इसका विकास नहीं हो पाएगा । इस दिन देश के सभी कार्यालयों में हिन्दी बोलने की हिदायत दी जाती है। लोगों को प्रेरित करने के लिए इस दिन हिन्दी भाषा अवॉर्ड भी दिया जाता है जो की राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है । देश में अंग्रेजी भाषा का बढ़ता चलन और उसी बीच हिन्दी भाषा की अनदेखी को रोकना भी हिन्दी दिवस मनाने का एक बड़ा उद्देश्य है।

Hindi Diwas

आजादी में हिंदी की महत्वपूर्ण रोल –

महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था और इसे  राष्ट्रभाषा का दर्जा देने को कहा था । सिर्फ महात्मा गांधी ने ही नहीं बल्कि इनके अलावा कई साहित्यकारों ने भी इसके लिए काफी कोशिश की थी लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी इसे  राष्ट्रभाषा का तो दर्जा नहीं मिला लेकिन इसे राजभाषा जरूर माना गया ।पिछले कुछ सालों में कुछ संस्थाओं ने फिर से हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की मांग की है ।

आपको बता दें कि हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए  राष्ट्रभाषा पुरस्कार समारोह का आयोजन भी किया जाता है। वैसे तो हिन्दी से जुड़े कई पुरुस्कार हैं, जिसमे  राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार और  राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार शामिल हैं । राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार  जो की किसी विभाग को दिया जाता है और  राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार  जो की लोगों को दिया जाता है।

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अगर बात करें हम उन साहित्यकरों की जिन्होंने ने हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने का काम किया तो इस सूची में वैसे तो तमाम लोग शुमार हैं परंतु सबसे ऊपर अगर कोई है तो वो हैं भारतेन्दु हरिश्चंद्र जिन्होंने हिन्दी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए बहुत काम किया हैं और इसी वजह से उन्हें हिन्दी का पितामह भी कहा जाता है। और उनके समय को हिन्दी इतिहास मे भारतेन्दु युग कहा गया है । इनके साथ साथ और भी साहित्यकार थे जैसे जयशंकर प्रसाद , सूर्यकांत त्रिपाठी , महादेवी वर्मा , रामधारी सिंह दिनकर  जिन्होंने हिन्दी को आगे बढ़ाने मे योगदान दिया ।

आज मातृभाषा का अपमान तब होता है जब कही किसी को नौकरी सिर्फ इस बात पर नहीं मिलती क्योंकि वो अंग्रेजी अच्छी तरह नहीं बोल पता फिर चाहे वो हिन्दी मे कितना ही निपुण क्यू न हो । स्कूलों मे हिन्दी भाषा उतनी गहराई से नहीं पढ़ाई जाती जितनी की अंग्रेजी भाषा पढ़ाई जाती है । बच्चों की नीव ही बचपन से अंग्रेजी पर रखी जा रही है । इसी प्रकार से आज के समय में ऐसी तमाम घटनाए हैं जो की इस बात का प्रमंड देती है की हिन्दी भाषा का महत्व कितना तेजी से खत्म होता जा रहा है । और ये वाकई दुखद है।

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