भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस में पलीता लगा रहा माध्यमिक शिक्षा विभाग !
यूपी की सत्ता के गलियारों के बीच आज की तारीख में एक बड़ा सवाल निकलकर सामने आ रहा है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति को पलीता लगाने के जिम्मेदार आखिर कौन लोग हैं?
यूपी की सत्ता के गलियारों के बीच आज की तारीख में एक बड़ा सवाल निकलकर सामने आ रहा है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति को पलीता लगाने के जिम्मेदार आखिर कौन लोग हैं? एक तरफ मुख्यमंत्री ईमानदारी और पारदर्शिता की मिसाल के रूप में काम कर रहे हैं। वहीं, सिस्टम के कई हिस्सों में होने वाली कारगुजारियां आये दिन सीएम योगी की मंशा को धता बता रही हैं।
प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा विभाग का ही मामला लें, यहां अवैध नियुक्तियो के फर्जीवाड़ा पर उच्चाधिकारियों के आदेशों के चक्कर में लखनऊ के जिला विद्यालय निरीक्षक घनचक्कर बने हुये है। डीआईओएस परेशान हैं कि किसकी बात माने या किसकी बात न माने। निदेशालय के दो प्रमुख अधिकारियों के अलग-अलग प्रकार के पर अंततः जिला विद्यालय निरीक्षक डा0 मुकेश कुमार सिंह ने शिक्षा निदेशक माध्यमिक शिक्षा तथा संयुक्त शिक्षा निदेशक को पत्र लिखकर वस्तु स्थिति से अवगत कराया है। ख़ास बात यह है कि सरकार की नाक के नीचे राजधानी में चल रही इस गड़बड़ी का जिम्मेदार आखिर कौन है, साथ ही जो विभाग के बड़े जिम्मेदार हैं क्या उन्हें इस गड़बड़ी की जानकारी नहीं है? या फिर जिम्मेदार लोगों ने जानबूझकर आम जनता की गाढ़ी कमाई की लूट को खुली छूट दे रखी है?
पहले अपर निदेशक ने नियुक्तियों को रद्द करने, वेतन रोककर धनराशि वसूली का आदेश दिया
लखनऊ के जिला विद्यालय निरीक्षक के इस पत्र के अनुसार अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक, शिक्षा निदेशालय, प्रयागराज के पत्रांक दिनांक 21.01.2020 के द्वारा लखनऊ के अशासकीय सहायता प्राप्त बालिका विद्यालयों अनियमित रूप से मृत पदों पर हुयी 103 शिक्षिकाओं, प्रधानाचार्यो, लिपिक तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश लखनऊ डीआईओएस को दिया गया था। साथ यह भी आदेश दिया कि शासन द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार अवैधानिक नियुक्तियों से हुयी राजकीय क्षति का आगणन कराया जाय। अवैधानिक नियुक्तियों को निरस्त कर विधिक प्रक्रिया अपनाकर बालिका विद्यालयों में नियुक्त कर्मचारियों को भुगतान की गयी धनराशि की क्षतिपूर्ति की वसूली की जाय। जिसके बाद जिला विद्यालय निरीक्षक ने वेतन रोक दिया तथा पूरी रिपोर्ट भेज दी गयी।
अपर निदेशक के आदेश को पलटकर, निदेशक ने फिर से वेतन जारी करने का आदेश दिया
वेतन रोके जाने के बाद शिक्षा निदेशक माध्यमिक के पत्रांक दिनांक 05.03.2020 तथा 01.05.2020 के अनसार जिला विद्यालय निरीक्षक को आदेश दिया गया कि उक्त अनियमित नियुक्तियों के संबंध में निर्णय लिये जाने तक कर्मचारियों को पूर्ववत् वेतन का भुगतान किया जाना सुनिश्चित करें। यहां पर आदेश होने के बाद डीआईओएस ने 103 शिक्षिकाओं, प्रधानाचार्य व अन्य कर्मचारियो को वेतन जारी कर दिया। इसके बाद पुन:पत्रांक दिनांक 10.06.2020 के अनुक्रम में डीआईओएस ने 103 अनियमित अवैध कर्मचारियों को भुगतान किये गये वेतन को आगणन करके उसकी रिपोर्ट संयुक्त शिक्षा निदेशक को भेज दी।
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अनियमित नियुक्तियों को वेतन का भुगतान करने पर मजबूर हैं जिला विद्यालय निरीक्षक
जिला विद्यालय निरीक्षक दोनों उच्चाधिकारियो के बीच में घनचक्कर बन गये है। शिक्षा विभाग इस फर्जीवाड़े पर कोई ठोस निर्णय नहीं ले पा रहा है। चार महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी अभी तक यह निर्णय नही हो सेका है कि शासन द्वारा घोषित इन 103 अवैध अनियमित नियुक्तियों रद्द करके राजकीय धनराशि की क्षतिपूर्ति वसूली की जाय। फिलहाल 01.06.2020 के अनुक्रम में जिला विद्यालय निरीक्षक इन 103 अनियमित शिक्षिकाओं व अन्य कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करने पर मजबूर है।
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