प्रयागराज व कानपुर में बुलडोजर की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

इस मामले में तीन दिन के भीतर जवाब मांगा है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि कोई भी कार्रवाई नियम के दायरे में ही होनी चाहिए।

Bulldozer Action : यूपी के प्रयागराज में हिंसा करने वालों के घरों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई के खिलाफ दी गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की तरफ से दलील दी गई। सरकारी पक्ष की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जहां इस कार्रवाई को सही ठहराया है वहीं याचिकाकर्ता के वकील सीयू सिंह ने इसपर रोक लगाने की मांग की है।

तीन दिन के भीतर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि अनधिकृत संरचनाओं को हटाने में कानून की प्रक्रिया का सख्ती से पालन हो। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और प्रयागराज व कानपुर विकास अथॉरिटी से  इस मामले में तीन दिन के भीतर जवाब मांगा है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि कोई भी कार्रवाई नियम के दायरे में ही होनी चाहिए। संबंधित व्यक्ति को समय पर नोटिस और फिर उसका जवाब देने का अधिकार मिलना चाहिए।

घर खाली करने का मौका दिये बगैर विध्वंस की कार्रवाई

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं सी.यू सिंह, हुजेफा अहमदी और नित्य राम कृष्णन ने सुप्रीम कोर्ट कहा कि विध्वंस का कारण यह बताया गया कि हिंसा में शामिल प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। सिंह ने आगे तर्क दिया कि विध्वंस बार-बार होता रहता है, यह चौंकाने वाला और भयावह है। यह आपातकाल के दौरान नहीं था, स्वतंत्रता पूर्व युग के दौरान नहीं था। कथित दंगा आरोपियों को घर खाली करने का मौका दिये बगैर विध्वंस की कार्रवाई की जा रही है। ये 20 साल से अधिक समय से खड़े घर हैं और कभी-कभी ये आरोपी के नहीं बल्कि उनके वृद्ध माता-पिता के भी होते हैं, उनका तर्क है।

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