हाथरस मामला: योगी सरकार ने कोर्ट में बताया आखिर क्यों जलाया रात को पीड़िता का शव
हाथरस सामूहिक दुष्कर्म मामले में आज उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होनी है। अदालत इस मामले में दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।
हाथरस सामूहिक दुष्कर्म मामले में आज उच्चतम न्यायालय में सुनवाई होनी है। अदालत इस मामले में दायर अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। फिलहाल मामले की एसआईटी जांच चल रही है। इसी बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने अदालत में हलफनामा दाखिल किया है। इसमें अदालत से मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने और अदालत द्वारा इसकी निगरानी किए जाने की मांग की है। अदालत ने बताया है कि संभावित दंगों के कारण प्रशासन ने पीड़िता के परिवार को रात में शव का अंतिम संस्कार करने के लिए मना लिया था। इसके अलावा सरकार ने दावा किया है कि हाथरस मामले के बहाने राज्य में दंगा कराने की साजिश रची गई थी।
यूपी सरकार ने अदालत में दिए हलफनामे में कहा कि जिला प्रशासन ने पीड़िता के माता-पिता को सुबह बड़े पैमाने पर होने वाली हिंसा से बचाने के लिए रात में अंतिम संस्कार करने के लिए मना लिया। खुफिया इनपुट के हवाले से संभावना जताई गई गई थी मामले को जाति/ सांप्रदायिक रंग दिया जा सकता है।
#Hathras case: District administration convinced parents of deceased to cremate her at night to avoid large scale violence in the morning, UP govt in affidavit to SC; cites intelligence inputs of possible assembly of lakhs of protesters & issue being given caste/communal colour https://t.co/9CshGV3x0p pic.twitter.com/twkJ6yqeyc
— ANI (@ANI) October 6, 2020
उत्तर प्रदेश सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर किया है। इसमें सरकार का कहना है कि अदालत को हाथरस में लड़की के साथ कथित दुष्कर्म और हमले की सीबीआई जांच के निर्देश देने चाहिए। राज्य सरकार का कहना है कि वो मामले की निष्पक्ष जांच करवा सकती है लेकिन निहित स्वार्थ जांच को पटरी से उतारने के उद्देश्य से कोशिश कर रहे हैं। हलफनामे में कहा गया है कि अदालत को मामले की सीबीआई जांच की निगरानी करनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर किया है। इसमें सरकार का कहना है कि अदालत को हाथरस में लड़की के साथ कथित दुष्कर्म और हमले की सीबीआई जांच के निर्देश देने चाहिए। राज्य सरकार का कहना है कि वो मामले की निष्पक्ष जांच करवा सकती है लेकिन निहित स्वार्थ जांच को पटरी से उतारने के उद्देश्य से कोशिश कर रहे हैं। हलफनामे में कहा गया है कि अदालत को मामले की सीबीआई जांच की निगरानी करनी चाहिए।
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