कैसे विदेश से इंजीनियरिंग करके लौटा युवा नौजवान बना देश के सबसे बड़े प्रदेश का मुख्यमंत्री
सपा प्रमुख ने राजनीती में उस वक्त कदम रखा था जिस उम्र में नौजवान इस सोच में रहते है कि उन्हें आखिर अपने जीवन में करना क्या है।
किसने सोचा था कि विदेश से इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर आया एक नौजवान एक दिन देश के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण राज्य का मुख्यमंत्री बन जायेगा। शायद किसी ने भी ये कल्पना तक नहीं की होगी। पर ऐसा हुआ है ,और ये कारनामा समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने करके दिखाया है। सपा प्रमुख ने राजनीती में उस वक्त कदम रखा था जिस उम्र में नौजवान इस सोच में रहते है कि उन्हें आखिर अपने जीवन में करना क्या है।
इस बात से तो सभी लोग परिचित है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भारतीय राजनीती के बड़े स्तम्भों में से एक माननीय मुलायम सिंह यादव के पुत्र है। इसी के चलते जब इस युवा चेहरे ने प्रदेश की राजनीती में कदम रखा तो कई लोगों ने अखिलेश यादव की आलोचना की थी, और उनपे कटाक्ष किये जा रहे थे कि राजनीति में पिता मुलायम सिंह के बड़े रुतबे की वजह से अखिलेश को ये मौका दिया गया है। यहां तक की लोगों ने उनके विदेश से पढ़के आने पर भी निशाना साधा। विपक्षी पार्टियों ने अखिलेश यादव का आत्मविश्वास कम करने के लिए यहां तक बोला कि जो आदमी विदेश से पढ़कर आया है वो राजनीती के दाव पेच क्या जानता होगा।
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अपने ऊपर हो रही आलोचनाओं को दरकिनार करके अपने पिता के कदमों पे चलते हुए 2000 में उत्तर प्रदेश के कन्नौज से लोकसभा उपचुनाव लड़ा। खास बात ये रही कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पहली बार में ही चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया। इस जीत के साथ की मात्र 27 साल की उम्र में अखिलेश 13 वीं लोकसभा में सांसद चुने गए। जहां पे उन्हें कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गयी। जिन्हें उन्होंने ने बड़े अच्छे से निभाया। लोकसभा उपचुनाव में मिली जीत से अखिलेश यादव ने उन सब लोगों के मुंह पे ताला लगा दिया था, जो उनकी आलोचना कर रहे थे।
इस जीत के बाद तो अखिलेश यादव ने पीछे मुड़कर कभी देखा ही नहीं, और बहुत कम समय में प्रदेश की राजनीती में अपना वर्चस्व बना लिया। 2004 में, उन्होंने आम चुनाव लड़ा, और उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए सांसद के रूप में चुना गया। 2009 में, वह तीसरी बार फिर लोकसभा के लिए चुना गया।
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सपा के राष्ट्रिय अध्य्क्ष ने सिर्फ प्रदेश की राजनीती में ही नहीं बल्कि पार्टी में अपने हुनर और परिश्रम के दम पे सबको अपना मुरीद बना लिया। इसी के चलते 10 मार्च 2012 को समाजवादी पार्टी की भागदौड़ उन्हें सौप दी गयी, और उन्हें पार्टी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया। अखिलेश यादव के पार्टी अध्यक्ष बनने के कुछ ही दिन बाद यानि कि 15 मार्च 2012 को उत्तर प्रदेश को अखिलेश यादव के रूप में एक युवा मुख्यमंत्री मिला। भारतीय राजनीती में वो एक लोटे ऐसे राजनेता है, जिन्होंने मात्र 38 साल की उम्र बुलंदी हासिल की है।
अखिलेश यादव का जन्म 1 जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव सैफई गांव में हुआ था। पूर्व मुख्यमंत्री का ज्यादातर बचपन अपने दादा-दादी के साथ बिता। 24 नवंबर 1999 को अखिलेश यादव ने डिंपल रावत से शादी कर ली। उनकी 2 बेटियां, टीना यादव और अदिति यादव और एक बेटा अर्जुन यादव हैं।
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अखिलेश यादव ने अपनी प्राथमिक शिक्षा सैफई से ही कि वो वहां के एक स्थानीय स्कूल में पढ़ने जाते थे। इसके बाद उन्होंने अपनी माध्यमिक शिक्षा राजस्थान के धौलपुर के मिलिट्री स्कूल से प्राप्त की। सपा प्रमुख ने फिर अपना ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन कर्नाटक के मैसूर के श्री जयचामाराजेंद्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी, ऑस्ट्रेलिया से प्राप्त की है।
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