लखनऊ : नाई की कुर्सी बनी कोरोना सिंहासन, मास्क और सैनिटाइजर के बिना अस्पतालों के बाहर बैठे हज्जाम
नाई की कुर्सी बनी कोरोना सिंहासन, मास्क और सैनिटाइजर के बिना अस्पतालों के बाहर बैठे हज्जाम
Hairdresser sitting outside hospitals लखनऊ : शहर-शहर अस्पतालों के बाहर बैठे हज्जामों पर प्रशासन और पुलिस का ध्यान ही नहीं जा रहा है। कोरोना ड्यूटी कर रही पुलिस बिना मास्क पहने जा रहे लोगों का तो चालान काट रही है परन्तु बिना मास्क, बिना ग्लब्स पहने और एक ही तौलिया का प्रयोग करते हज्जामो पर कोई कार्यवाही नहीं कर पा रही है। जो कोरोना के संक्रमण को फैलाने मे अहम भूमिका निभा रहे है।
अनलॉक 1.0 में जिला प्रशासन ने कुछ प्रतिबन्धों के साथ सैलून और बारबर शाप को खोलने की अनुमति प्रदान की थी। जिसमे चेहरे पर मास्क, शील्ड, हाथों में ग्लब्स का होना अनिवार्य है।
- तौलिया ग्राहक खुद अपनी लायेगा या नयी धुली तौलिया का प्रयोग होगा।
- कैची, कंघा उस्तरा को हर बार सैनिटाइज किया जायेगा।
- परन्तु प्रशासन की लापरवाही से बड़ी दुकानों वाले सैलून इन सबका पालन करते नजर नहीं आते है.
- तो सड़क के किनारे बाल काटने वालों और दाढ़ी बनाने वालों से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है।
खुद के साथ दूसरों को भी खतरे में डाल रहे “गुम्मा-सैलून’:-
- केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल, लोहिया, सिविल अस्पताल के बाहर कुर्सी डाल कर बैठे।
- ये बारबर सबसे अधिेक संक्रमण के बीच बैठे है।
- खुद के साथ दूसरों को भी खतरे में डाल रहे है।
- पुलिस और अस्पताल के सुरक्षाकर्मी भी इनको नहीं टोकते है।
- अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के साथ उनके परिजन व अन्य मरीज इन हज्जामों की सेवायें लेते है।
- इनसे ही संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा है।
- बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के काम करते हज्जाम कोरोना संक्रमण के प्रति एक चुनौती हैै।
- जिसे जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को ही झेलना है।
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