Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले में अब 26 मई को होगी अगली सुनवाई – जाने कोर्ट क्या दर्ज कराने को कहा ?

फैसला सुरक्षित रख लिया था. वाराणसी की जिला कोर्ट में करीब 45 मिनट तक सुनवाई चली. सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने अपने-अपने दलीलें रखे।

Gyanvapi Case: वाराणसी की जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी विवाद पर अपना फैसला टाल दिया है. कोर्ट अब 26 मई को अपना फैसला सुनाएगी. मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने कहा था की 7-11पर मामला सुना जाए.जिसके बाद वाराणसी के जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा कि वे मामले की सुनवाई 26 मई को करेंगे और पहले 7-11 को सुनवाई होगी. साथ ही जिला कोर्ट ने दोनों पक्षों को ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट पर 7 दिन के भीतर आपत्ति दर्ज कराने को कहा.इससे पहले सोमवार 23 मई को वाराणसी की जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी विवाद पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. वाराणसी की जिला कोर्ट में करीब 45 मिनट तक सुनवाई चली. सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने अपने-अपने दलीलें रखे।

दोनों पक्षों की दलीलें

सुनवाई शुरू होते ही मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया कमेटी ने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत ज्ञानवापी में किए गए सर्वेक्षण पर सवाल खड़ा कर दिया. इस पक्ष की ओर से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत सुनवाई की मांग की है. उधर, हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि अदालत को पहले आयोग की ओर से सौंपी गई सर्वे रिपोर्ट पर गौर करना चाहिए. इस सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने सर्वे की सीडी, रिपोर्ट और फोटो कोर्ट के समक्ष रखने की मांग की. साथ ही कथित शिवलिंग की सुरक्षित खुदाई, पैमाइश और सभी बारीकियों का ब्योरे एकत्र करने का आदेश देने की मांग की गई.

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वास्तव में, उपासना स्थल अधिनियम, 1991 के संदर्भ में, सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 में किसी अन्य पक्ष के दावे को किसी भी धार्मिक स्थान पर सीधे कोर्ट में ले जाने से रोकता है। यानी किसी भी धार्मिक स्थल की प्रकृति और स्थिति को बदलने की याचिका सीधे कोर्ट में दायर नहीं की जा सकती। कानून के तहत उस याचिका पर कोई सुनवाई नहीं होगी। हालांकि, ये कानून और सीपीसी के नियम किसी धार्मिक स्थल की प्रकृति और स्थिति की पहचान करने के लिए जांच, आयोग या सर्वेक्षण के गठन को नहीं रोकते हैं। यदि किसी आयोग की सर्वेक्षण रिपोर्ट विवादित धार्मिक स्थल के संबंध में दावेदार के दावे की पुष्टि करती है और कोर्ट उसे स्वीकार करती है, तो उस पर सुनवाई की जाएगी।

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