उन्नाव: जीआरपी सिपाही रोहित के शिक्षादान से भीख मांगते बच्चों के हाथ में है ‘कलम’
उन्नाव जंक्शन के जीआरपी थाने में तैनात सिपाही रोहित कुमार की मुहिम 'हर हाथ मे कलम' भिक्षा मांगने वाले गरीब बच्चों के जीवन में शिक्षा की रोशनी ला रही है।
#Unnao -उन्नाव जंक्शन के जीआरपी थाने में तैनात सिपाही (GRP constable) रोहित कुमार की मुहिम ‘हर हाथ मे कलम’ भिक्षा मांगने वाले गरीब बच्चों के जीवन में शिक्षा की रोशनी ला रही है।रोहित की पाठशाला में पढ़ने वाले यह 70 से अधिक बच्चे कभी भिक्षावृर्ति,बाल मजदूरी में थे।
यात्रियों से खाने पीने की वस्तुएं और पैसे मांग रहे थे….
जनपद उन्नाव के उन्नाव रायबरेली रेलमार्ग पर पड़ने वाले कोरारी हाल्ट के किनारे मलिन बस्ती के रहने वाले बच्चे गुजरने वाली ट्रेनों के यात्रियों से भीख मांगते थे।कानपुर-रायबरेली पैसेंजर ट्रेन में तैनात सिपाही रोहित एक दिन कोरारी हाल्ट पर उतरे तो फटे पुराने कपड़े पहने 3 से 10 साल तक के कुछ बच्चे यात्रियों से खाने पीने की वस्तुएं और पैसे मांग रहे थे।रोहित ने उन्हें अपने पास बुला कर बात की तो बच्चों ने बताया कि भीख मांगकर और मजदूरी कर वह अपना पेट पालते हैं।उनमें से कोई स्कूल भी नही जाता था।
ये भी पढ़ें – अजब गजब: जब दुल्हन ने दूल्हे को दे दी गुड न्यूज़, सबके पैरों के नीचे से खिसक गयी जमीन
कुछ भी बदलने के लिए शुरुआत जरूरी है….
रोहित बताते हैं कि भिक्षावृत्ति की यह तस्वीर बहुत दुःखद और शर्मनाक थी,एक दो रुपये या बिस्किट टॉफी देकर हम बच्चों की मदद कर रहे हैं ? इटावा जिले के मनैना गाँव निवासी रोहित के पिता सेवानिवृत्त सैनिक है।मई 2018 में झांसी से उन्नाव स्थानांतरित होकर आए रोहित बताते हैं कि कुछ भी बदलने के लिए शुरुआत जरूरी है।
यही सोचकर अगले दिन ड्यूटी खत्म कर मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर मोटरसाइकिल से कोरारी गाँव पहुँच कर बच्चों का पता लगाकर उनके परिवार से मुलाकात की।पहले तो उनके परिजन किसी भी तरह की हमारी बात सुनने के लिए भी तैयार नही थे लेकिन हमारी लगातार जिद पर कुछ लोग तैयार हुए तो रेलवे ट्रैक के किनारे एक नीम के पेड़ के नीचे हमने पहले दिन पांच बच्चों की पाठशाला शुरू की।लेकिन दूसरे दिन एक भी बच्चा पढ़ने नही आया।
ये भी पढ़े – घर से दुल्हन की हुई थी विदाई और ससुराल पहुंचते ही दो युवकों ने किया ‘घिनौना काम’
5 बच्चों से शुरू हुई इस मुहिम में 15 बच्चे आने लगे
इसके बाद उन्हें ढूढते हुए फिर उनके घर गए और उनके माता पिता को बच्चों की शिक्षा और उनके भविष्य को लेकर समझाया।एक महीने तक कड़ी मेहनत के बाद 5 बच्चों से शुरू हुई इस मुहिम में 15 बच्चे आने लगे।कुछ समय के बाद इन सभी का दाखिला गाँव के प्राथमिक विद्यालय में करवा दिया।लेकिन हमारी पाठशाला खुले आसमान के नीचे चलती रही।रोज शाम को ड्यूटी के बाद गाँव जाकर उन बच्चों को शिक्षा देना हमारी दिनचर्या हो गयी।
ये भी पढ़ें – बॉयफ्रेंड को कमरे में बुलाकर गर्लफ्रेंड कर रही थी ये काम, जब घरवालों ने देखा तो पैरों के नीचे से खिसक गयी जमीन
रोहित आगे बताते हैं कि बरसात आने पर वहाँ पानी भर गया जिसके बाद पास में अमरसस गांव में एक किराए का कमरा लेकर शिक्षण कार्य चलता रहा।उसी समय यह बात हमारे एसपी सौमित्र यादव को पता चली तो उन्होंने पंचायती राज अधिकारी से गाँव का पंचायत भवन मुझे देने का निवेदन किया और ग्राम सचिव के माध्यम से कोरारी कला गाँव का पंचायत भवन मुझे अपनी पाठशाला के लिए निःशुल्क मिल गया।
सिपाही रोहित कुमार की “हर हाथ मे कलम” मुहिम की जानकारी पर अभ्युदय सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ प्रभात सिन्हा ने बच्चों को शिक्षण कार्य के लिए किताब, कॉपी,पेन,पेंसिल, रबर, कटर, कलर के साथ टॉफी, बिस्किट बाट कर रोहित का हौसला बढ़ाया।
नौकरी के साथ बच्चों की शिक्षा सुचारू रूप में चलती रहे
पाठशाला ” हर हाथ में कलम” में आज लगभग 70 बच्चे शिक्षा गग्रहण कर रहे हैं।बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए खेलकूद, गीत संगीत, नृत्य, चित्रकला प्रतियोगिता के साथ जैसे आयोजन समय समय पर किए जाते हैं।नौकरी के साथ बच्चों की शिक्षा सुचारू रूप में चलती रहे इसके लिए रोहित ने क्षेत्र के दो शिक्षक बसंत और मंगल को अपने इस काम मे भागीदार बनाया।मंगल बीएससी कर चुके हैं जबकि बसंत कामर्स से इन्टर पास है।दोनों शिक्षकों को इस काम के लिए वेतन भी देते हैं।
एक कार्यशाला के माध्यम से जागरूक किया गया
नवंबर यातायात माह में उन्नाव पुलिस द्वारा “हर हाथ में कलम” पाठशाला के बच्चों को यातायात जागरूकता तथा कोविड नियमो के बारे में एक कार्यशाला के माध्यम से जागरूक किया गया।जनपद में आयोजित यातायात माह समापन प्रतियोगिता में “हर हाथ में कलम” पाठशाला के बच्चों द्वारा निबंध, पेंटिंग और क्विज के माध्यम से जागरूकता फैलाने के लिए सिपाही रोहित को एसपी आनन्द कुलकर्णी ने स्मृति चिन्ह (जो उन्हें दिया गया था) देकर सम्मानित किया।
“मेरा सपना स्कूल न पहुंचने वाले बच्चों को शिक्षा देने के साथ ही आत्मनिर्भर बनाना है।ट्रेन में ड्यूटी के बाद समय निकालकर बच्चों को पढ़ाता हूं ऐसा करके मैं न सिर्फ बच्चों का भविष्य सवाँर रहा हूं बल्कि अपने पिता के सपने को भी पूरा कर रहा हूं”- रोहित कुमार सिपाही जीआरपी उन्नाव।
रिपोर्ट – सुमित यादव
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :