गोंडा : बसपा के दो नेताओं को किसान आंदोलन का समर्थन करना पड़ा भारी
देश में लगभग 15 दिनों से किसान आंदोलन पर हैं केंद्र सरकार द्वारा लाये गए कृषि कानून का लगातार विरोध कर रहे हैं।
देश में लगभग 15 दिनों से किसान आंदोलन पर हैं केंद्र सरकार द्वारा लाये गए कृषि कानून का लगातार विरोध कर रहे हैं। किसानों के समर्थन में कई बड़ी पार्टियां उनका सहयोग कर रही हैं और किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं, तो वही गोंडा के दो बसपा नेताओं पर किसान आंदोलन का समर्थन करना भारी पड़ गया। बसपा पार्टी ने गोंडा के दो बड़े नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। वहीं दोनों नेताओं का कहना है कि हम लोगों ने किसान आंदोलन में भारत बंद का समर्थन किया था और किसानों के समर्थन में भूख हड़ताल पर बैठे थे जिसके चलते पार्टी ने हमको बाहर का रास्ता दिखाया है हम लोग लगातार एक सक्रिय कार्यकर्ता के साथ किसान और मजलुमो की आवाज उठाते हैं अगर पार्टी किसानों के समर्थन को लेकर हम लोगों को बाहर दिखा रास्ता दिखा रही है तो आगामी चुनाव में इस सरकार इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा वही पार्टी से निष्कासित किए गए मसूद आलम ने कहा कि पार्टी हमसे है हम पार्टी से नहीं हैं हम लगातार किसान का समर्थन करते रहेंगे।
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वहीं बसपा पार्टी से निष्कासित किए गए दोनों नेताओं ने कहा कि हम लगातार किसान का समर्थन करते रहेंगे पार्टी हमसे है हम पार्टी से नहीं हैं जिस तरीके से नेताओं पर कार्रवाई हो रही है तो आगामी चुनाव में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
बहुजन समाज पार्टी ने गोंडा में अपने दो कद्दावर नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया जिसमें रमेश गौतम जो कि तरबगंज विधानसभा क्षेत्र से दो बार बसपा से ही विधायक रह चुके हैं और मसूद आलम खान जो कई बार विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव बसपा से ही लड़ चुके हैं इन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने और गंभीर अनुशासनहीनता करने के आरोप लगे हैं बीते दिनों इन दोनों नेताओं ने किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन किया था और मसूद आलम था अपने घर पर ही उपवास पर बैठ गए थे रमेश गौतम ने भी अपने क्षेत्र में कई स्थानों पर किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदर्शन कर आए थे जिसको लेकर पार्टी नेताओं के फोन लगातार आ रहे थे और उच्च पदाधिकारी नाराज थे लगातार उन्हें इस तरह की गतिविधियां करने से मना कर रहे थे। लेकिन अगर इन दोनों नेताओं की मानें तो किसानों से जुड़ा होने के नाते उनका समर्थन करना ही की मजबूरी थी मसूद आलम खाां और रमेश गौतम ने बताया कि पार्टी में बैठे हुए उच्च पदाधिकारी बहन जी को बरगला कर इस तरह के निर्णय करा रहे हैं बहन जी ने ही ट्विटर पर किसान आंदोलन को समर्थन दिया था जिसके बाद हम लोगों ने भी जमीनी स्तर पर इस आंदोलन को समर्थन दिया अगर हम गरीब असहाय किसान की आवाज नहीं उठाएंगे तो चुनाव में हमें फिर कौन याद रखेगा इस तरह से कार्यवाही करने पर चुनाव में इसका खामियाजा हमें उठाना पड़ सकता है।
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