लखनऊ : सरकार के नए शासनादेश से प्राथमिक शिक्षकों में रोष, पत्र जारी कर उठाई मांगे
लखनऊ : सरकार के नए शासनादेश से प्राथमिक शिक्षकों में रोष, पत्र जारी कर उठाई मांगे
उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के लिए सरकार की ओर से कुछ जरूरी दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। जिसको लेकर अब उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने इन दिशानिर्देशों का विरोध किया है और इनमें संशोधन की मांग भी की है।
दरअसल यह दिशा निर्देश शैक्षणिक कार्यों के लिए समय अवधि और कार्य निर्धारण को लेकर जारी किए गए हैं। जिसको लेकर अब प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से कहा गया है कि अगर सरकार की ओर से इन दिशानिर्देशों को लागू किया जाता है, तो इससे विद्यालय में कार्यरत अध्यापकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। जिसको लेकर अब उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से एक पत्र जारी कर अपनी मांगें बताई हैं।
सरकार के नए आदेशों पर शिक्षकों को ऐतराज:-
नए निर्देशों के तहत गर्मी के मौसम में विद्यालयों के संचालन के लिए 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक तथा शीतकाल में यह 1 अक्टूबर से 31 मार्च तक सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक निर्धारित किया गया है। ऐसे में शिक्षक संघ का कहना है कि छोटे बच्चों के अध्यन समय में एक घंटा समयावधि बढ़ाए जाने से उन्हे परेशानी होगी। जिसे बदलने की मांग शिक्षक संघ की ओर से की गई है।
इसके अलावा शीतकालीन अवकाश 31 दिसंबर से 14 जनवरी तक और ग्रीष्मकालीन अवकाश 20 मई से 15 जून तक निर्धारित किए गए हैं। जिसके बाद 16 जून से शिक्षण फिर से आरंभ हो जाएगा। हालांकि इस समयावधि को शिक्षक संघ ने 30 जून तक बढ़ाने की मांग की है। सरकार की ओर से जो दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, उसमें यह कहा गया है कि पास बुक में इंट्री, ग्राम प्रधान से वार्ता, चेक पर हस्ताक्षर जैसे कामों के लिए अगर अध्यापक विद्यालय से बाहर जाएंगे, तो उनके वेतन में कटौती की जाएगी। जिसका अब शिक्षक संघ की ओर से विरोध किया गया है।
नए आदेश में शिक्षक को शिक्षण अवधि के बाद आधे घंटे तक विद्यालय में ही रुकना होगा। इस नियम को शिक्षक संघ की ओर से अव्यवहारिक और संशोधन योग्य बताया है। नए नियम के तहत अब शिक्षकों को महीने के चौथे शनिवार को विकास खंड पर आयोजित होने वाली 2 घंटे की बैठक में भी उपस्थित रहना होगा। यह बैठक प्रधानाध्यापकों की होगी। इस नियम को भी अव्यवहारिक और संशोधन योग्य बताया गया है।
साथ ही शिक्षकों की मांग है कि ऑनलाइन शिक्षण के लिए शिक्षक विद्यालय में उपस्थित रहे, यह प्रक्रिया सही नहीं है, क्योंकि ज्यादातर प्राथमिक विद्यालय ऐसे क्षेत्रों में हैं, जहां सही से नेटवर्क बी नहीं पहुंचता है और शिक्षकों को विभाग की ओर से ऑनलाइन शिक्षा के लिए जरूरी संसाधन भी उपलब्ध नहीं कराए गए हैं।
इस बात का भी विरोध किया गया है। गर्मी के मौसम में विद्यालय खोलने की अवधि 8.30 बजे और शीतकाल में यह समय 9.30 निर्धारित किया जाए।गर्मी और सर्दियों की छुट्टियों में शिक्षक से कोई भी शैक्षिक या फिर गैर शैक्षणिक कार्य ना लिया जाए और अगर ऐसा होता है, तो उसे प्रति दिन के हिसाब से उसका भुगतान किया जाए।
विद्यालय की रंगाई पुताई और मरम्मत का काम शिक्षण अवधि के बाद नहीं हो सकता। क्योंकि मजदूर अपनी दिहाड़ी सुबह से ही शुरू करते हैं। ऐसे में उसकी निगरानी के लिए शिक्षक को विद्यालय में ही रुकना पड़ेगा। यह नियम सही नहीं है। शिक्षकों के सभी बोनस, बकाया और एरियर के निस्तारण के लिए एक टोल फ्री नंबर की शुरुआत की जाए।
ऑनलाइन शिक्षा के लिए शिक्षकों पर इस बात का दबाव न बनाया जाए, कि वह गरीब अभिभावकों को मजबूर करें कि वह अपने बच्चों कि शिक्षा के लिए मोबाइल और इंटरनेट जैसी तमाम सर्विस खरीदें।
देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट
हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :