तो ये है देश में पेट्रोल और डीज़ल के दामों में हो रही बढ़ोत्तरी की वजह
देश में पेट्रोल और डीज़ल के दामों में लगी आग दिन पे दिन बढ़ती ही चली जा रही है और जो खबर अरब देशों से सामने आ रही है उसको देख के तो यही लगता है कि फ़िलहाल देश में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में कमी आने वाली नहीं है।
देश में पेट्रोल और डीज़ल के दामों में लगी आग दिन पे दिन बढ़ती ही चली जा रही है और जो खबर अरब देशों से सामने आ रही है उसको देख के तो यही लगता है कि फ़िलहाल देश में पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में कमी आने वाली नहीं है। हाँ पर इसके विपरित तेल के दामों में और बढ़ोत्तरी जरूर हो सकती है। असल में तेल निर्यातक देशों का समहू ओपेक में बाकि देशों के बीच प्रोडक्शन बढ़ाने को लेकर कोई रजामंदी नहीं बन पाई है। ऊपर से दुनिया के दो बड़े पेट्रोलियम आपूर्ति देश सऊदी अरब और यूएई के बीच आउटपुट डील को लेकर भेदभाव हो गया है।
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यूएई की बेमानी शर्त की वजह से शुरू हुआ ये सारा विवाद
सऊदी अरब और यूएई शुरू हुआ ये विवाद तेल उत्पादन न बढ़ाने की मौजूदा डील को लेकर है। इस डील से यूएई सहमत नहीं है। बल्कि यूएई ने तो ओपेक और अन्य तेल उत्पादक देशों के तेल प्रोडक्शन में कटौती के फैसले का विरोध भी किया है। यूएई का कहना है कि वो अपनी शर्तों पे तेल का उत्पादन और आपूर्ति करेगा। उसने तेल उत्पादन बढ़ाये बिना डील को 2022 तक बढ़ाने के प्रस्ताव को भी गलत बताया।
सऊदी अरब बाजार को रखना चाहता है संतुलित
यूएई से अलग हट के सऊदी अरब दुनिया के बाजार को संतुलित बनाये रखने के लिए उत्पादन को कम करने के पक्ष में है। सऊदी अरब का मानना है कि गर एक देश के लिए यह रियायत दी गई तो अन्य देश भी इसकी मांग करने लगेंगे। जिससे व्यापार करने में काफी परेशानी आएगी। सऊदी अरब ओपेक के सिर्फ एक सदस्य देश के लिए उत्पादन बेसलाइन में संशोधन करने के पक्ष में बिलकुल भी नहीं है।
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