आजमगढ़ : भाजपा सरकार ने अति पिछड़ी जातियों को विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के नाम पर एक बार फिर गुमराह करने की कोशिश की है- पूर्व यूपी कैबिनेट मंत्री राम आसरे विश्वकर्मा 

पूर्व यूपी कैबिनेट मंत्री राम आसरे विश्वकर्मा ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने अति पिछडी जातियो को विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के नाम पर एक बार फिर गुमराह करने की कोशिश की है।

नाई, दर्जी,बढ़ई,मोची, हलवाई,बुनकर,कुम्हार, लोहार,राजमिस्त्री व सुनार को विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के माध्यम से निशुल्क प्रशिक्षण देकर तथा इनको निशुल्क टूल किट्स देकर उनसे उनका पुश्तैनी काम कराना चाहती है।

अगर आप पिछली सरकारों को देखेगे तो मालूम होगा कि नाई दर्जी बढई मोची हलवाई बुनकर कुम्हार लोहार राजमिस्त्री सुनार आदि को पहले भी केन्द्र सरकार की योजना के माध्यम से राज्य सरकारे उन्हें उनका पुश्तैनी काम कराने के लिये ब्लाक स्तर पर निशुल्क टूल किट्स उपलब्ध कराती थी।

यानी योजना तो पुरानी है उसका नाम नया अवश्य कर दिया गया है।यानी वही कहावत पुरानी शराब को नयी बोतल मे डालकर नया रैपर लगाकर नया पेश किया गया है।इन जातियों के लोग जन्म से ही कारीगर होते है और बडे होते होते सब हुनर व अनुभव परिवार से ही सीख जाते हैं।

इन जातियों का श्रम सम्मान अगर करना था तो इन्हें कारीगरी व अनुभव के आधार पर परीक्षण कर आईटीआई या पालीटेक्निक का सर्टिफिकेट दे देते तो शायद उसके आधार पर सरकारी नौकरियों या प्राईवेट नौकरियो में यह लोग भर्ती हो सकते थे और सम्मान के साथ अपने व परिवार की जिन्दगी गुजार सकते थे।

जैसा कि समाजवादी पार्टी सरकार में मुख्यमन्त्री श्री अखिलेश यादव जी ने सन् 2015 में विश्वकर्मा समाज के इन्टर पास लडको को कौशल विकास मिशन योजना से पुश्तैनी कारीगरी के आधार पर आईटीआई का प्रमाण पत्र देने का शासनादेश जारी किया था जिसको केन्द्र सरकार ने कौशल विकास मिशन योजना के माध्यम से रोक लगा दी थी।

सरकार अगर इनके बच्चो के भविष्य के लिये यदि कुछ अच्छा करना चाहती है तो इन्हे कम्प्यूटर की ट्रेनिग देकर इनके हाथो में लैपटाप दे देती तो ये लोग देश के बडी बडी कम्पनियों में अच्छी नौकरी कर सकते और अपने परिवार को सम्मान से गुजार सकते थे।

जैसा सपा सरकार में मुख्यमन्त्री श्री अखिलेश यादव जी ने सभी इन्टर पास बच्चो को मुफ्त लैपटाप दिया था जिसको पाकर आज भी बच्चे सरकारी और प्राइवेट नौकरी कर रहे है और इन्टरनेट के माध्यम से देश और दुनिया की जानकारी रख रहे हैं।अब पिछडे दलित व गरीब के बेटे भी पढ लिख कर होशियार हो गये है।

अब न तो वह पुश्तैनी काम करना चाहते हैं और न किसी के गुमराह करने से गुमराह होगें। उन्हें अपना अच्छा भविष्य बनाने के लिये अच्छी शिक्षा तथा अच्छा रोजगार चाहिये।उन्हें अपना आरक्षण और अपना अधिकार के साथ बराबरी का सम्मान चाहिये।

इससे कम पर वह समझौता करने को तैयार नही है।इस दिशा सरकार को सोचना होगा और निर्णय लेना होगा।

Related Articles

Back to top button