पूर्व राज्यपाल और बहुमुखी प्रतिभा के धनी माता प्रसाद का निधन, लखनऊ के PGI में ली अंतिम सांस
मशहूर साहित्यकार, प्रसिद्ध काव्य रचियता, नाट्य लेखक और बहुमुखी प्रतिभा के धनी माता प्रसाद (Mata Prasad) का मंगलवार देर रात निधन हो गया।
मशहूर साहित्यकार, प्रसिद्ध काव्य रचियता, नाट्य लेखक और बहुमुखी प्रतिभा के धनी माता प्रसाद (Mata Prasad) का मंगलवार देर रात निधन हो गया। अरुणाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के पूर्व राजस्व मंत्री के पद पर अपनी सेवा दे चुके माता प्रसाद लंबे समय से बीमार चल रहे थे, जिन्होंने 96 वर्ष की उम्र में लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में करीब 12 बजे अंतिम सांस ली। राजनीति में सादगी के उदाहरण माता प्रसाद के निधन की खबर मिलते ही सियासी गलियारे में शोक छा गया।
11 अक्टूबर 1924 को यूपी के जौनपुर जिले के मछलीशहर तहसील क्षेत्र के कजियाना मोहल्ले में माता प्रसाद (Mata Prasad) का जन्म हुआ था। जगरूप राम के पुत्र के रूप में जन्मे माता प्रसाद बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। माता प्रसाद ने वर्ष 1942-43 में मछलीशहर से हिंदी-उर्दू में मिडिल परीक्षा पास की थी।
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माता प्रसाद (Mata Prasad) ने गोरखपुर जिले के नॉर्मल स्कूल से ट्रेनिंग के बाद जनपद के मड़ियाहूं ब्लॉक क्षेत्र के प्राइमरी स्कूल बेलवा में सहायक अध्यापक के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने गोविंद, विशारद के अलावा हिंदी साहित्य की परीक्षा पास की। माता प्रसाद को अध्यापन काल से ही लोकगीत लिखने और गाने का शौक हो गया था।
माता प्रसाद (Mata Prasad) राजनीति में स्वर्गीय बाबू जगजीवन राम को अपना आदर्श मानते थे। जिले के शाहगंज विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर 1957 से 1974 तक वे लगातार पांच बार विधायक रहे। माता प्रसाद की कार्य कुशलता को देखते हुए इन्हें 1955 में जिला कांग्रेस कमेटी का सचिव बनाया गया।
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साल 1980 से 1992 तक 12 वर्ष उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे। राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने इन्हें अपने मंत्रिमंडल में 1988 से 89 तक राजस्व मंत्री बनाया था। देश की नरसिंह राव सरकार ने 21 अक्टूबर 1993 को माता प्रसाद को अरुणाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया और 31 मई 1999 तक ये राज्यपाल रहे। राज्यपाल पद पर रहते हुए माता प्रसाद (Mata Prasad) को तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने पद छोड़ने को कहा तो उन्होंने दरकिनार कर दिया था।
सादगी की प्रतिमूर्ति रहे माता प्रसाद (Mata Prasad) को पैदल चलना उनको बहुत पसंद था। पांच बार विधायक, दो बार एमएलसी, नारायण दत्त तिवारी के मुख्यमंत्री काल में उत्तरप्रदेश के राजस्व मंत्री और राज्यपाल रहे माता प्रसाद पैदल और रिक्शे चलते थे।
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माता प्रसाद साहित्यकार के रूप में भी जाने जाते रहे। उन्होंने एकलव्य खंडकाव्य, भीम शतक प्रबंध काव्य, राजनीति की अर्थ सतसई, परिचय सतसई, दिग्विजयी रावण जैसी काव्य कृतियों की रचना ही नहीं की वरन अछूत का बेटा, धर्म के नाम पर धोखा, वीरांगना झलकारी बाई, वीरांगना उदा देवी पासी, तड़प मुक्ति की, धर्म परिवर्तन प्रतिशोध, जातियों का जंजाल, अंतहीन बेड़ियां, दिल्ली की गद्दी पर खुसरो भंगी जैसे नाट्य भी लिखे थे।
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