पहले शूटर फिर रेप आरोपी उसके बाद सांसद, किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है सांसद अतुल राय की कहानी
अतुल राय के अपराध का पुराना इतिहास रहा है, अपराध का सहारा लेकर राजनीति की सीढ़ी चढ़ने वाला घोसी से बसपा सांसद दुष्कर्म के आरोप में नैनी सेंट्रल जेल में बंद है.
बहुजन समाज पार्टी के नेता और पूर्वी उत्तर प्रदेश की घोसी लोकसभा सीट से 39 वर्षीय सांसद अतुल राय(MP Atul Rai) उन दागी राजनेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने राजनीति में आने से पहले आपराधिक दुनिया में अपना नाम बनाया था। रेप की आरोपी लड़की के सुप्रीम कोर्ट के बाहर खुद को आग लगाने के बाद जेल में बंद अतुल राय एक बार फिर चर्चा में हैं। अतुल राय के अपराध का पुराना इतिहास रहा है। अपराध का सहारा लेकर राजनीति की सीढ़ी चढ़ने वाला घोसी से बसपा सांसद दुष्कर्म के आरोप में नैनी सेंट्रल जेल में बंद है। आइए जानते हैं अतुल राय के मुख्तार अंसारी के शूटर से सांसद बनने का सफर…….
गाजीपुर जन्मभूमि तो बनारस कर्मभूमि
गाजीपुर के ग्राम बीरपुर निवासी अतुल राय के जीवन के महत्वपूर्ण पन्ने वाराणसी जिले से जुड़े हुए हैं। अतुल राय का जन्म गाजीपुर में तो पालन-पोषण वाराणसी में हुआ। वाराणसी में पिता डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (DLW) में कार्यरत थे। अतुल ने वाराणसी के हरिश्चंद्र कॉलेज से स्नातक किया। इसी दौरान अतुल राय के छात्र राजनीति में कूद पड़े। इसी बीच उत्तर प्रदेश के वाराणसी के थानों में उनके नाम की शिकायतें पहुंचने लगीं। धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ता गया और वाराणसी और उसके आसपास के जिलों में आपराधिक गतिविधियां सुनी जाने लगीं। अतुल राय की छात्र राजनीति से राजनीति की उच्च बागडोर तक पहुंचने की कहानी को अपराध का मार्ग माना जाता है। अतुल राय ने मुख्तार से संपर्क करने के अलावा राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कई रास्ते चुने जिससे वे सत्ता में आए, लेकिन वे अपराध के दलदल में फंसते रहे। उनके खिलाफ दर्ज मामले इस बात की पुष्टि करते हैं कि एक और सफेदपोश अपराधी पूर्वांचल में सत्ता की चाबी हासिल करने की कोशिश कर रहा है। अतुल राय अब एक हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ वाराणसी और आस-पास के जिलों के कई पुलिस थानों में बलात्कार, हत्या, हत्या के प्रयास और जबरन वसूली सहित जघन्य अपराधों के कम से कम 27 मामले दर्ज हैं।
पढ़ाई के दौरान वह मुख्तार गैंग के संपर्क में आया
वाराणसी में पढ़ाई के दौरान वह मुख्तार गैंग के संपर्क में आया। अपने कारनामों के कारण, वह जल्द ही अंसारी के विशेष सहयोगियों में से एक बन गया। अतुल राय के खिलाफ पहला केस वाराणसी के मंडुआडीह पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था और उसने उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह 2017 में तब सुर्खियों में आए थे, जब उन पर वाराणसी के डफी टोल प्लाजा इलाके में अंधाधुंध फायरिंग का आरोप लगा था. अपराध की दुनिया में अपना नाम साबित करने के बाद अतुल ने ठेके की दुनिया में अपना नाम बना लिया। पीडब्ल्यूडी, रेलवे जैसे अनुबंध हासिल करने के बाद, अतुल राय ने अपनी टीम बनाना शुरू कर दिया। यहीं से उनकी राजनीतिक पारी का आधार बनने लगा।
सियासी पारी एकदम फिल्मी
गाजीपुर के अतुल राय ने साल 2017 में वाराणसी से ही अपनी राजीतिक पारी का आगाज किया। बसपा के टिकट से जमनिया से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में राय को भले ही हार का मुंह देखना पड़ा, लेकिन उसे पहचाना जाने लगा। बीजेपी की सुनिता सिंह से अतुल राय मामूली अंतर से हारे. भूमिहार बेल्ट में अतुल का बढ़ता वर्चस्व उसके राजनीतिक रसूख को साबित करने के लिए काफी था. 2019 में कयास लगाए जा रहे थे कि मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी को घोसी सीट से बसपा का टिकट मिल सकता है, लेकिन अतुल राय ने पार्टी की आधिकारिक उम्मीदवार सूची में अपना नाम लाकर सबको चौंका दिया। यहां से मुख्तार व अतुल के बीच न मिटने वाली लकीर खिंच गई।
रेप के आरोप लगे फरार हुए और फरारी में जीते चुनाव…..
साल 2019 के चुनावों के पहले ही अतुल राय की मुश्किलें बढ़ने लगीं। नामांकन के ठीक बाद राय पर बलात्कार का संगीन आरोप लगा। 23 साल की युवती ने आरोप लगाया कि अतुल राय ने धोखे से अपने फ्लैट पर बुलाया, यहां दुष्कर्म किया और वीडियो बना लिया। साथ ही धमकी दी कि यदि शिकायत की तो वीडियो को वायरल कर दिया जाएगा। मुकदमा दर्ज होने के दौरान अतुल राय फरार रहे और फरारी के दौरान ही पूरा चुनाव लड़ा। परिणाम अतुल राय के पक्ष में आया, तो लगा मानो उनके अच्छे दिन आ गए। मगर, बलिया निवासी युवती ने तमाम दबावों के बावजूद अपना मुकदमा न तो वापस लिया और न ही अपने कदम पीछे खींचे। अलबत्ता युवती के जज्बे के आगे पुलिस प्रशासन के खौफ के आगे सब लाचार हो गया. युवती की शिकायत के बाद अतुल राय फरार हो गए, इधर परिवार की तरफ से जबरदस्त प्रचार किया जा रहा था, जिसका परिणाम ये हुआ कि अतुल राय जीत गए, लेकिन कोर्ट से राहत नहीं मिली और आखिर में आत्मसमर्पण करना पड़ा, वह जेल में बंद थे ही कि पिछले दिनों पीड़िता द्वारा आत्मदाह ने मुश्किलों को और बढ़ा दिया है।
पीड़िता के आत्मदाह ने बढ़ाई मुश्किलें
इसी बीच 16 अगस्त को पीड़िता और उसके दोस्त सत्यम राय ने सुप्रीम कोर्ट के सामने खुद को आग लगा ली। इलाज के दौरान 21 अगस्त को सत्यम की और 24 अगस्त को पीड़िता की मौत हो गई। खुद को आग लगाने से पहले दोनों ने अपना दर्द सोशल मीडिया पर लाइव शेयर किया। सोशल मीडिया पर लाइव वीडियो बनाते हुए दोनों ने आरोप लगाया था कि सांसद अतुल राय के कहने पर वाराणसी के पूर्व एसएसपी अमित पाठक और पूर्व एडीजी अमिताभ ठाकुर समेत कुछ जज भी उनके पीछे पड़े हैं।
दोनों का आरोप है कि सभी की मिलीभगत से उनके खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। दोनों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें पुलिस और अदालत के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में प्रधान मंत्री कार्यालय से भी मदद नहीं मिली। वीडियो में पीड़िता के दोस्त ने कहा था, ”हमने पैसे का लालच छोड़ दिया था और भूखे-प्यासे अतुल राय के खिलाफ कानूनी लड़ाई जारी रखी थी ताकि लोगों का कानून-व्यवस्था पर भरोसा बढ़े….. अब हम फंस गए हैं, एक सांठगांठ में। अगर हमारे पास राजनीतिक शरण होती, तो हमें शायद इतनी चिंता करने की ज़रूरत नहीं होती।”
अतुल राय के बाहर निकलने के सारे रास्ते भी बंद
अब अतुल राय के बाहर निकलने के सारे रास्ते भी बंद कर दिए गए। अगर युवती रेप के मामले में स्टैंड नहीं लेती तो शायद अतुल राय जेल के बाहर से राजनीति उड़ा रहे होते। हालात और बदले के समीकरणों के मुताबिक अब अतुल राय से छुटकारा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है।
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