यूपी में कोरोना से हुई पहली मौत, गोरखपुर BRD अस्पताल में भर्ती था 25 साल का युवक
आज पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है. देश में 21 दिनों का लॉक डाउन घोषित किया जा चुका है। जिसके बाद धीरे धीरे अन्य प्रदेशों में रह रहे लोग अपने अपने घरों में वापसी करने के लिए उमड़ पड़े हैं. देश के उत्तर प्रदेश राज्य में भी भारी संख्या में लोग अपने घर और गाँव वापस पहुँच रहे हैं. देश और प्रदेश में बढ़ रहे कोरोना के मरीजों की संख्या को देखते हुए सरकार बहुत एहितयात बरत रही है. बाहर से आने वाले सभी लोगों की जांच कर उन्हें क्वारटाइन और आइसोलेशन में रख रही है. मगर घर वापसी कर रहे लोगों की बढ़ती संख्या के कारण जिला प्रशासन को प्रयाप्त व्यवस्था करने में भी काफी दिक्कत हो रही है.
यूपी में कोरोना से हुई पहली मौत. गोरखपुर BRD अस्पताल में भर्ती था 25 साल का युवक। कल रात हुई मौत. मरने के बाद आई KGMU की जांच रिपोर्ट में निकला पाज़ीटिव। यूपी में कोरोना से हुई पहली मौत, गोरखपुर BRD अस्पताल में भर्ती था 25 साल का युवक।
कोरोना से गोरखपुर में पहली मौत के बाद बस्ती के गांधीनगर क्षेत्र के तुर्कहईया मोहल्ले से लेकर बस्ती जिला अस्पताल और गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेज तक खौफ फैल गया है।
शुरुआती लक्षणों को गम्भीरता से न लेने, मरीज के बारे में पूरी जानकारी न होने, शुरू से ही सावधानी न बरतने जैसी तमाम बातें हैं जिनकी जांच-पड़ताल आगे जरूर होगी लेकिन इतना तो अभी भी साफ है कि इस एक गलती ने बस्ती से गोरखपुर तक कितने लोगों को संक्रमित किया होगा कहा नहीं जा सकता।अब तो यह प्रशासन पर है कि वह 25 वर्षीय हसनैन अली के सम्पर्क में आए एक-एक शख्स को खोजे, आइसोलेट करे और जांच कराकर पता लगाए कि उन्हें कोरोना है या नहीं। तब तक ये सारे लोग कितने और लोगों को संक्रमित कर चुके होंगे इस बारे में भी कुछ कहा नहीं जा सकता।
हसनैन अली के परिवारवालों और पड़ोसियों का कहना है कि वह दो महीने से बीमार था। इस दौरान मोहल्ले के ही दो डॉक्टरों ने उसका इलाज किया। तबीयत में सुधार न होने पर उन्हीं में से एक डॉक्टर ने उसे बस्ती जिला अस्पताल भेजा। हालत और बिगड़ी तो रविवार को उसे गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज ले जाया गया जहां सोमवार की सुबह आठ बजे उसकी मौत हो गई। परिवार की यह कहानी यदि यह सही है तो निश्चित ही हसनैन अली के मोहल्ले में कई ऐसे लोग, दोस्त-मित्र होंगे जो उसके सम्पर्क में आए होंगे। मोहल्ले में उसका इलाज करने वाले दोनों डॉक्टर, उनका स्टॉफ, बस्ती जिला अस्पताल के डॉक्टर और स्टॉफ और बीआरडी मेडिकल कालेज के डॉक्टर, नर्सें, लैब टेक्निशियन, वार्ड ब्वाय और स्टॉफ के दूसरे तमाम लोग हसनैन के सीधे सम्पर्क में आए।
रविवार को हसनैन को गोरखपुर मेडिकल कालेज लाया गया तो उसे सबसे पहले ट्रामा सेंटर में देखा गया। यहां से उसे मेडिसिन विभाग के वार्ड नंबर 14 भेज दिया गया। हसनैन को डॉक्टरों ने कोरोना वार्ड में तब भेजा जब रविवार रात उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। जाहिर है कि इसके पहले तक किसी को शक भी नहीं था कि उसे कोरोना है। लिहाजा, हसनैन के साथ बस्ती से गोरखपुर तक आम मरीजों जैसा ही सलूक किया जा रहा था। उसे आम मरीजों के साथ ही रखा भी गया।
लिहाजा, यह पता करना इतना आसान भी नहीं कि इस दौरान कितने स्वास्थ्य कर्मी और आम लोग हसनैन के सम्पर्क में आए और उसके अंदर पल रहे कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए। भूसे में सूई ढूंढने जैसा यह काम शुरुआती गलतियों की वजह से गोरखपुर और बस्ती प्रशासन के जिम्मे आ पड़ा है। सैकड़ों लोगों, डॉक्टरों,नर्सों और पैरामेडिकल स्टॉफ की जिंदगी इस एक गलती की वजह से खतरे में पड़ गई है। फिलहाल गोरखपुर से बस्ती तक हसनैन का इलाज करने वाले डॉक्टरों और स्टॉफ को आइसोलेशन में भेजा गया है। बताया जाता है कि हसनैन बस्ती में ही जमात में बतौर सेवादार कार्यरत था। उसने हाफिज की पढ़ाई की थी। तीन माह पहले ही उसका निकाह तय हुआ था। उसके मोहल्ले को भी क्वारंटीन करने की तैयारी चल रही है
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