कौशाम्बी: सरकारी अस्पतालों में लगे अग्निशमन यंत्र पूरी तरह खराब

न ही विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए कोई व्यवस्था है। अग्निशमन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जिले के 70 प्रतिशत सरकारी अस्पताल में आग बुझाने के अधिकांश उपकरण खराब हैं।

योगी सरकार भले ही सरकारी अस्पतालों (government hospitals) को सुविधाओं से लैस करने के लिए तमाम कवायद कर रही है। इसके बाद भी सरकारी अस्पताल का प्रबंध इलाज ही नहीं, सुरक्षा में भी हद दर्जे की लापरवाही बरत रहा है।

इतना ही नही डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के गृह जनपद कौशाम्बी के सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा भी रामभरोसे है। यहां सरकारी अस्पतालों में आग लग जाए तो उसे बुझाने के लिए उचित उपकरण तक नहीं है। न ही विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए कोई व्यवस्था है। अग्निशमन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जिले के 70 प्रतिशत सरकारी अस्पताल में आग बुझाने के अधिकांश उपकरण खराब हैं।

जिला अस्पताल में आग बुझाने के लिए लगाए गए अधिकतर उपकरण खराब

जिले के अस्पतालों (government hospitals) में अग्निकांड सहित विशेष परिस्थितियों से निपटने के लिए लगाए गए उपकरणों का रियलिटी चेक किया गया। इस दौरान जिला अस्पताल में आग बुझाने के लिए लगाए गए अधिकतर उपकरण खराब मिले।

ये भी पढ़ें- लखनऊ से बड़ी खबर: अजीत हत्याकांड का मुख्य शूटर गिरधारी पुलिस मुठभेड़ में ढेर

सुरक्षा के मानकों की अनदेखी से अस्पताल में कभी भी परिस्थितियां भयावह हो सकती हैं। जिला अस्पताल में भूतल पर ओपीडी संचालित की जाती है। इसके कारण यहां मरीजों की भारी भीड़ लगती है।

स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं

यहां प्रतिदिन 600 से 800 मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसके बावजूद यहां आग पर काबू पाने के लिए कोई भी उपकरण नहीं लगाया गया है। जिला अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों के तीमारदारों से ने बताया कि जिला अस्पताल में आग पर काबू पाने के लिए लगे सुरक्षा उपकरण खराब हो गए हैं। इस ओर स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।

इसके कारण उनकी सुरक्षा व्यवस्था राम भरोसे है।अग्निशमन विभाग के प्रभारी अधिकारी के मुताबिक कौशांबी जिले के 70% से ज्यादा सरकारी अस्पतालों में अग्निशमन उपकरण खराब पड़े हुए हैं।

सभी अस्पतालों को नोटिस जारी किया गया है। इसके साथ ही उनसे कहा गया है कि वह उपकरणों को सही कराएं, जिससे किसी भी बड़े हादसे से बचा जा सके। इस बारे में जिले के स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।

रिपोर्ट – सैफ रिजवी

Related Articles

Back to top button