किसान आंदोलन के बीच बुजुर्ग किसान नेता ने कही बड़ी बात, बोले- भटक गए हैं मोदी, हम…
केंद्र सरकार (Central Government) के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली (Delhi) की सीमाओं का डटे किसानों (Farmers) के आंदोलन लगातार जारी है।
केंद्र सरकार (Central Government) के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली (Delhi) की सीमाओं का डटे किसानों (Farmers) के आंदोलन लगातार जारी है। आज (शनिवार) 45वें दिन भी ठंड के बावजूद किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांगों को लेकर अड़े हैं। सरकार के साथ किसानों की कई बैठकों के बावजूद अब तक इस आंदोलन का समाधान नहीं निकला है। किसानों के प्रदर्शन में युवा किसानों के साथ-साथ बुजुर्ग किसान भी पूरे दम से इस आंदोलन में डटे हुए हैं।
इसी बीच बुजुर्ग किसानों (Farmers) का कहना हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अच्छा काम कर रहे थे, लेकिन सही काम करते-करते वह राह से भटक गए हैं। उन्होंने कहा कि हम उन्हें सही राह पर ले आएंगे।
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पंजाब के दीनानगर से कुंडली बॉर्डर पर पहुंचे 82 वर्षीय बुजुर्ग किसान अमरजीत सिंह का कहना है कि जब तक कृषि कानून रद्द नहीं होंगे, वह यहां से वापस नहीं जाएंगे। 27 नवंबर को कुंडली बॉर्डर पर शुरू हुए धरने के दो दिन बाद ही आंदोलन में शामिल होने के लिए आए अमरजीत सिंह ने न सिर्फ किसानों (Farmers) की आवाज बुलंद की, बल्कि यहां लगातार लंगर में भी अपनी सेवा दे रहे हैं।
82 साल के बुजुर्ग किसान अमरजीत सिंह ने कहा कि उन्होंने बंटवारे का दर्द भी देखा है और फिर पंजाब का विभाजन भी देखा। वे आधा दर्जन बड़े आंदोलनों में शामिल रहे हैं। इसी वजह से आंदोलन उनकी आदत में शुमार हो चुके हैं। अब वह आंदोलनों से घबराते नहीं हैं। अमरजीत सिंह बताते हैं कि कंपकंपाती ठंड में पानी के बीच उन्हें खेतों में काम करने की आदत है, ऐसे में यह ठंड उनके लिए कुछ भी नहीं है।
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अमरजीत सिंह ने कहा है कि ऐसा नहीं है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि इसी सरकार में 84 के दंगों के मामले में उन्हें न्याय मिला है। करतारपुर कॉरिडोर का काम हुआ और किसानों को सालाना 6 हजार रुपये आर्थिक सहायता मिल रही है। नरेंद्र मोदी ने बहुत से अच्छे काम किए हैं, जिसके कारण किसानों (Farmers) के वोट मिलने से ही वह दोबारा सत्ता में आए हैं, लेकिन सही काम करते-करते वह पथ से भटक गए हैं, लेकिन हम उन्हें सही राह पर ले आएंगे।
बुजुर्ग किसान अमरजीत सिंह ने कहा कि सरकार को किसानों की बहादुरी की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए। सिखों ने पहले भी चार बार दिल्ली जीती है। इस बार फिर से वह तैयार हैं। उनकी मांग नहीं मानी गई तो 26 जनवरी की परेड किसान करेंगे और लाल किले पर किसानी झंडा लहराएंगे। इसके लिए वह पूरी तरह से तैयार हैं और धीरे-धीरे उनकी संख्या भी बढ़ती जा रही है।
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