बड़ी खबर: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले किसानों ने एक बार फिर बंद किया दिल्ली-नोएडा बॉर्डर
केंद्र सरकार के नए कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर कड़ाके की ठंड में सड़कों पर उतरे किसानों के आंदोलन से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है।
केंद्र सरकार के नए कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर कड़ाके की ठंड में सड़कों पर उतरे किसानों (Farmers) के आंदोलन से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। अपने मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों ने बुधवार सुबह एक बार फिर से दिल्ली और नोएडा बॉर्डर को बंद कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को यानी आज किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। इनमें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर भीड़ इकट्ठा करने और कोरोना वायरस के संकट को लेकर याचिका लगाई गई है। इसके अतिरिक्त किसान आंदोलन में मानवाधिकारों, पुलिस एक्शन और किसानों (Farmers) की मांगों को पूरा करने की अपील की गई है। इन याचिकाओं पर चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच करेगी।
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नोएडा का चिल्ला बॉर्डर किसानों ने किया सील
वहीं, मंगलवार की शाम किसानों (Farmers) ने नोएडा का चिल्ला बॉर्डर दोबारा से सील कर दिया था। धरने पर बैठे अन्नदाताओं ने दिल्ली जाने का रूट बंद कर दिया था। बॉर्डर पर ही किसानों ने हड़ताल शुरू कर दी। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया। हालांकि, नोएडा का चिल्ला बॉर्डर तीन दिन पहले ही खोला गया था, जिसे किसानों ने सील कर दिया था।
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हर रोज हो रहा करीब 3500 करोड़ रुपये का नुकसान!
वहीं, भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम ने केंद्र सरकार और किसान संगठनों (Farmers) से अपील की, कि वह जल्द से जल्द किसान (Farmers) आंदोलन को सुलझाएं। संस्था का कहना है कि इस आंदोलन की वजह से पंजाब (Panjab), हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ रहा है। उनके मुताबिक, इस आंदोलन के चलते हर रोज करीब 3500 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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खेती पर निर्भर हैं तीनों ही राज्यों के कई उद्योग
एसोचैम के मुताबिक, इन तीनों ही राज्यों के कई उद्योग खेती पर निर्भर हैं। कोरोना महामारी से देश की आर्थिक व्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है, जिससे उभरने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) कोशिश कर रही है, लेकिन किसानों (Farmers) के जारी विरोध-प्रदर्शनों के चलते रोड-हाईवे और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़े बजट को खर्च करने की सरकार की प्रतिबद्धता पूरी होने में बाधा आ रही है। कृषि क्षेत्र में सुधारों से अधिक निवेश होगा और उससे रोजगार व समृद्धि बढ़ने से लोगों को ही फायदा होगा।
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