खाली रहा अमित शाह का वार, किसानों का बड़ा ऐलान 12 को जाम होंगे हाइवे तो 14 को पूरे देश में होगा आंदोलन 

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही पारित तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले करीब 15 दिनों से दिल्ली की सड़कों पर आंदोलनरत हैं।

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही पारित तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले करीब 15 दिनों से दिल्ली की सड़कों पर आंदोलनरत हैं। सरकार से कई बार चर्चा हुई लेकिन चर्चा विफल रही। अंततः गृह मंत्री अमित शाह ने भी आनन फानन में किसान संगठनों के कुछ नेताओं के साथ बैठक कर बातचीत की लेकिन उनकी बात भी किसानों से बन नहीं पाई। इसके बाद सरकार ने किसानों को कृषि कानून में संशोधन का लिखित प्रस्ताव भेजा।

 

प्रस्ताव ठुकराया

सरकार द्वारा संशोधन का लिखित प्रस्ताव मिलने के बाद किसान नेताओं ने सिंधु बॉर्डर पर बैठक की। इसके उपरांत किसान नेताओं ने प्रेस वार्ता की। जिसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने सरकार के द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को ठुकरा दिया है और कृषि कानूनों के वापसी की मांग की है। इतना ही नहीं उन्होंने आंदोलन को और तेज करने का ऐलान करते हुए कहा कि 14 दिसंबर को पूरे देश में प्रदर्शन किया जाएगा। इससे पहले 12 दिसंबर को जयपुर-दिल्ली और दिल्ली-आगरा हाईवे बंद करने की घोषणा की।

इस पर राजी है सरकार

बता दें कि सरकार ने संशोधन से संबंधित जो प्रस्ताव भेजा था, उसमें कहा गया था कि, सरकार किसानों की प्रमुख मांग एमएसपी पर कानून लाने की जगह उस पर लिखित में आश्वसन देगी। इसके अतिरिक्त सरकार ने कहा कि वह बिजली संशोधन बिल 2020 नहीं लाएगी। किसानों की मांग थी कि कृषि कानूनों में किसानों के विवाद के समय कोर्ट जाने का अधिकार नहीं दिया गया है, जो दिया जाना चाहिए। सरकार इस पर राजी हो गई है।

नहीं हो सकती कुर्की

इसके अतिरिक्त किसानों को डर है कि उनकी भूमि उद्योगपतियों द्वारा कब्जा कर ली जाएगी। जिसका समाधान सरकार ने प्रस्ताव में दिया है। किसानों का मुद्दा था कि उनकी भूमि की कुर्की हो सकती है। इस पर सरकार का कहना है कि किसान की भूमि की कुर्की नहीं की जा सकती है। केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया कि वह राज्य सरकारों को अधिकार देगी ताकि किसानों के हित में फैसला लिया जा सके। और व्यापारियों को पंजीकरण कराना ही होगा।

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