लखनऊ : मुख्यमंत्री के OSD की गाड़ी पर फ़र्ज़ी सचिवालय पास, कार्रवाई के नाम पर रेत का टीला
उत्तर प्रदेश की लीला भी गजबे है। अगर कोई माननीय या नौकरशाह का रिश्तेदार हो तो लगता है उसे नियम तोडऩे का पूरा अधिकार है। साथ में खाकी वाले उसे सलामी भी ठोकेंगे। जी हां, बात बिल्कुल वाजिब कर रहा हूं क्योंकि आज सचिवालय में जो फार्चूनर के साथ लडक़ा अभय प्रताप सिंह पकड़ा गया वो कोई और नहीं बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ओएसडी अजय कुमार सिंह का लडक़ा निकला।
- खुलासा: सचिवालय में फर्जी कागजातों के साथ पकड़ी गयी फॉर्च्यूनर कार मुख्यमंत्री के ओएसडी अजय कुमार सिंह की निकली
- समीक्षा अधिकारी विधान सभा (संविदा) बताने वाला व्यक्ति ओएसडी का लडक़ा निकला
- मुख्य सुरक्षाअधिकारी जिलाजीत चौधरी ने ओएसडी का फोन आते ही लडक़े को ठोंकी सलामी
- अभय सिंह और फोरचुनर को बिना किसी कारवाही के छोड़ दिया, प्रमाण सीसीटी में कैद
- फर्जी कार पास मामले पर हेमंत राव का गैरजिम्मेदाराना जवाब : विशेष सचिव से बात कर लें.
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की लीला भी गजबे है। अगर कोई माननीय या नौकरशाह का रिश्तेदार हो तो लगता है उसे नियम तोडऩे का पूरा अधिकार है। साथ में खाकी वाले उसे सलामी भी ठोकेंगे। जी हां, बात बिल्कुल वाजिब कर रहा हूं क्योंकि आज सचिवालय में जो फार्चूनर के साथ लडक़ा अभय प्रताप सिंह पकड़ा गया वो कोई और नहीं बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ओएसडी अजय कुमार सिंह का लडक़ा निकला।
जब वो गाड़ी पर लगे फर्जी पास के साथ गेट नंबर सात से सचिवालय में घुसा तो उसके कागजात की तलाशी के दौरान ही रक्षक अभय कुमार पाण्डेय ने पकड़ लिया था। सूचना मिलते ही मुख्य सुरक्षा अधिकारी जिलाजीत चौधरी मौके पर पहुंचे। जैसे ही अभय प्रताप सिंह ने उन्हें अपना असली परिचय दिया, मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने उसे सलामी दी और गाड़ी सहित जाने दिया। सीसीटीवी में इसे देखा जा सकता है।
फार्च्यूनर पर गाडी नंबर DL 10CG 2190 लिखा है और गाडी में लगे पास पर गाड़ी नंबर UP78DD2454 लिखा है। मुख्य मंत्री के ओएसडी ही स्वयं ऐसा फर्जी कार्य अपने लड़के से करवा रहे हैं। कार पास के ऊपर जिस पासधारक का नाम लिखा है वह अजय कुमार सिंह, ओएसडी। बात करके सहमति की पुष्टि उनसे की जा सकती है। फर्जी मामले को मुख्यमंत्री के ओएसडी के दबाव के चलते बिना किसी विधिक कार्यवाही के सुरक्षा यूनिट ने रफादफा कर दिया।
दूसरे फर्जी कार पास के मामले में कार इनोवा पर UP32LA7730 L लिखा था और लगा कार पास नंबर UP32JP6832 है। पकड़ी गई इस गाड़ी का मामला भी कमोबेश बड़े लोगों से जुड़ा निकला । यह वाहन सरकार के किसी विभाग में अटैच है। उसका ड्राइवर आशियाना निवासी वीरेंद्र यादव है। इस मामले में आईडी प्रूफ लेकर मुख्य सुरक्षा अधिकारी जिलाजीत चौधरी ने वाहन सहित सबको छोड़ दिया। मामला रफा दफा हो गया।
विगत लंबे समय से देखा जा रहा है कि ऐसे अनेको फर्जी कार पास वाली घटनाओं को सचिवालय सुरक्षा यूनिट द्वारा लगातार दबा दिया जा रहा है। हाल में ही गृह विभाग में फर्जी कार पास धारक ब्यक्ति जो अपने को समीक्षा अधिकारी गृह विभाग बताता था, उसे पुलिस जेल भेज चुकी है। बताते चलें कि सचिवालय में करण सिंह नाम के एक अनुभाग अधिकारी को बापू भवन में इसी तरह के मामले में पकडे जाने पर लीपापोती की जा चुकी है । इन्हे पहले निलंबित फिर बहाल कर दिया गया।
विगत वर्षों में कितने ऐसे मामले सचिवालय में पकड़े गए हैं लेकिन उनका कोई अता पता नहीं। सचिवालय पूरी तरह खतरे की जद में घिरा हुआ है।
सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री के ओएसडी जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे अफसर के लडक़े को गैरकानूनी काम करने का अधिकार है ? आखिर उसके खिलाफ मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने क्यों नहीं कानूनी कार्रवाई की ? यदि यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब कोई भी वीवीआईपी गाड़ी में बैठकर आयेगा और किसी घटना को अंजाम देकर निकल पड़ेगा। इसी तरह दूसरी गाड़ी जो पकड़ी गयी वो भी किसी प्रभावशाली व्यक्ति का था,जिसे बिना कार्रवाई किये छोड़ दिया गया।
खैर, इस बाबत जब एडिशनल चीफ सेके्रेटरी, सचिवालय प्रशासन विभाग हेमंत राव से बात की गयी तो उन्होंने अपना पल्ला पूरी तरह से झाड़ते हुये कहा कि इस बारे में मुख्य सुरक्षा अधिकारी से बात करें। जब बताया कि मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने ही नियम तोडक़र घुसने वाले लडक़े और उसकी गाड़ी को छोड़ दिया है,इस पर उनका जवाब था कि विशेष सचिव से बात कर लें…। जनाब की बातों से अंदाजा लगा सकते हैं कि सचिवालय में बैठने वाले उप-मुख्यमंत्री, माननीय,नौकरशाहों सहित सैंकड़ों कर्मचारियों के जान-माल की जिम्मेदारी कितने गैर जिम्मेदार अधिकारियों के कंधों पर है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां जीरो टॉलरेंस की बात कर रहे हैं वहीं उनके साथ बैठने वाले ओएसडी अपने लडक़ों को जीरो टॉलरेंस की धज्जियां उड़ाने की नसीहत दे रहे हैं। तभी तो आज सचिवालय के गेट नंबर सात पर सुरक्षा कर्मचारियों ने जिस फार्चूनर और उस पर लगे पास को पकड़ा वो किसी और का नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के ओएसडी अजय कुमार सिंह का निकला।
फॉर्च्यूनर पर गाडी नंबर डीएल-10सीजी 2190 लिखा है और गाडी में लगे पास पर गाड़ी नंबर यूपी 78 डीडी 2454 लिखा है। मुख्यमंत्री के ओएसडी ही स्वयं ऐसा फ र्जी कार्य अपने लडक़े से करवा रहे हैं। फ र्जी मामले को मुख्यमंत्री के ओएसडी के दबाव के चलते बिना किसी विधिक कार्यवाही के सुरक्षा यूनिट ने रफा-दफा कर दिया है।
आज ही के दिन जो दूसरा मामला पकड़ा गया था वो इस प्रकार है। इनोवा गाड़ी पर नंबर यूपी 32 एलए 7730 एल लिखा था और कार पर लगे पास नंबर पर यूपी 32 जेपी 6832 है। बताया जाता है कि पकड़ी गयी इस गाड़ी का मामला भी कमोवेश बड़े लोगों से जुड़ा निकला। इनोवा भी सरकार के किसी विभाग में अटैच है। उसका ड्राइवर आशियाना निवासी वीरेंद्र यादव है। इस मामले में आईडी प्रूफ लेकर मुख्य सुरक्षा अधिकारी जिलाजीत चौधरी ने वाहन सहित सबको छोड़ दिया। सीधी बात करें तो मामला रफा-दफा कर दिया गया।
बता दें कि लंबे समय से देखा जा रहा है कि ऐसे अनेको फ र्जी कार पास वाली घटनाओं को सचिवालय सुरक्षा यूनिट द्वारा लगातार दबाया जाता रहा है। हाल में ही गृह विभाग में फ र्जी कार पास धारक व्यक्ति, जो अपने को समीक्षा अधिकारी, गृह विभाग बताता था, उसे पकड़ कर पुलिस के हवाले किया गया था। वो जेल की हवा खा रहा है।
सचिवालय में करण सिंह नाम के एक अनुभाग अधिकारी को बापू भवन में इसी तरह के मामले में पकड़े जाने पर लीपापोती की जा चुकी है। इसे भी पहले निलंबित किया गया फिर ले-देकर बहाल कर दिया गया। सीधी बात करें तो सचिवालय पूरी तरह से खतरे की जद में है। देखना यह है कि मुख्यमंत्री के नियम को जीरो करने वाले अफसरों के लाडले के खिलाफ या गैरजिम्मेदारी की बात करने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं ?
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि खराब करने का कुचक्र तो नहीं रचा जा रहा है। बागपत कांड के बाद सूबे की सियासत में मचे भूचाल के बाद आज सचिवालय के अंदर कूटरचित पास और वाहनों का नंबर डालकर प्रवेश करते दो लोगों को गेट नंबर 7 पर तैनात रक्षक अभय कुमार पाण्डेय की चौकन्नी निगाहों ने धरदबोचा।
पूर्व विधायक की गाड़ी नंबर यूपी-41 ई-0205 पर लगी सचिवालय पास को कूटरचित तरीके से बनाया गया है। गाड़ी दिल्ली की है और नंबर कानपुर का पड़ा है। इसी तरह पकड़ी गयी दूसरी गाड़ी पर लगा सचिवालय वाहन पास स्कैन करके दूसरी गाड़ी में प्रयोग किया जा रहा है। इस गाड़ी को सचिवालय में लाने वाले शख्स ने अपना परिचय अभय प्रताप सिंह,समीक्षा अधिकारी संविदा,प्रमुख सचिव विधानसभा बताया है।
चौंकाने वाली बात यह है कि रक्षक अभय कुमार पाण्डेय ने जब फर्जी वाहन प्रवेश पत्र लेकर सचिवालय में घुस रहे लोगों को पकडक़र मुख्य सुरक्षा अधिकारी जिलाजीत चौधरी के पास ले गये तो उन्हें छोड़ क्यों दिया गया ? सचिवालय कर्मचारी इस घटना से भयाक्रांत हैं। कर्मचारियों का कहना है कि यही हाल रहा तो किसी भी दिन सचिवालय के अंदर बड़ा कांड हो सकता है।
चर्चा इस बात की भी जोरों पर है कि मुख्य सुरक्षा अधिकारी भाजपा सरकार में तैनात हैं लेकिन इनकी निष्ठा योगी आदित्यनाथ के प्रति नहीं बल्कि पूर्व क मुख्यमंत्री के प्रति है? बात जो भी हो, यही हालात रहा तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि कोई भी शख्य फर्जी वाहन पास बनाकर सचिवालय में बड़ा हादसा कर सकता है।
देखना है कि शासन में बैठे अफसरान घोर लापरवाही बरतने वाले सचिवालय के मुख्य सुरक्षा अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई करते हैं? सवाल यह भी है कि आखिर जब एक रक्षक ने फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों को रंगेहाथ पकड़ा तो उन्हें छोड़ा क्यों गया? कहीं ये कोई साजिश तो नहीं ?
आज सुबह 11.15 बजे सचिवालय के गेट नंबर 7 से पूर्व विधायक की क्वालिश टोयटा गाड़ी नंबर यूपी 41 ई 0205 अंदर जा रही थी। उसी दौरान ड्यूटी पर तैनात रक्षक विधान भवन रक्षक संजीव रंजन की नजर गाड़ी पर चस्पे नंबर और प्रवेश पत्र की गहनता से जांच की। उसने देखा कि गाड़ी का प्रवेश पत्र वर्ष 2019 एवं गाड़ी एवं गाड़ी संख्या कूटरचित तरीके से लिखा गया है। रक्षक ने प्रवेश पत्र केे जब्त कर लिया लेकिन गाड़ी में बैठे पूर्व विधायक ने अपना व्यक्तिगत प्रवेश पत्र नहीं दिखाया।
नवीन भवन के प्रभारी निरीक्षक सुरक्षा शिवबरन ने इसकी लिखित सूचना मुख्य सुरक्षा अधिकारी जिलाजीत चौधरी को दी। चौंकाने वाली बात यह है कि मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने इनलोगों से बात करने के बाद छोड़ दिया। क्यों ? फर्जी वाहन पास लेकर सचिवालय के अंदर घुसने वालों को पुलिस के हवाले क्यों नहीं किया ?
इससे पूर्व भी इन्होंने एक फर्जी विधायक की गाड़ी को लेकर अंदर आने वालों को छोड़ दिया था। एक बात तो तय है कि आज भी सचिवालय में फर्जी पास बनाने का गोरखधंधा जारी है। इस पर रोक नहीं लगा तो किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। सबसे अहम सवाल यह है कि आखिर सचिवालय की सुरक्षा यानि यूपी सरकार के माननीय और टॉप क्लास के अफसरों व हजारों कर्मचारियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कैसे अधिकारी के हांथ में दिया गया है,जो गुनहगारों पर भी मेहरबानी बरत रहा है ?
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