प्रयागराज- फर्जी प्रमाण पत्र के चलते यूपी सरकार की संतकबीरनगर में कार्यरत एसडीएम श्याम बाबू पर बड़ी कार्रवाई…

प्रयागराज- फर्जी प्रमाण पत्र के चलते यूपी सरकार की संतकबीरनगर में कार्यरत एसडीएम श्याम बाबू पर बड़ी कार्रवाई...

fake certificate SDM Shyam Babu working Santkabirnagar Prayagraj:- प्रयागराज- फर्जी प्रमाण पत्र के चलते यूपी सरकार की संतकबीरनगर में कार्यरत एसडीएम श्याम बाबू पर बड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने जाति प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाने के आधार पर संतकबीरनगर में कार्यरत उपजिलाधिकारी श्याम बाबू की नियुक्ति रद्द कर दी है।

fake certificate SDM Shyam Babu working Santkabirnagar Prayagraj:-

नियुक्ति विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि श्याम बाबू 2016 की पीसीएस परीक्षा में चयनित हुए थे। पहले वह यूपी पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल थे। उन्हें संतकबीरनगर में परिवीक्षाधीन डिप्टी कलेक्टर के पद पर तैनाती दी गई थी। जांच में उनका अनुसूचित जन जाति का प्रमाणपत्र फर्जी पाया गया। इसके आधार पर चयन के मद्देनजर उन्हें सेवा से मुक्त कर दिया गया है। श्याम बाबू बलिया के रहने वाले हैं।

आपको बता दें कि श्याम बाबू वर्ष 2005 में यूपी पुलिस में भर्ती हुए थे। प्रयागराज स्थित पुलिस मुख्यालय में तैनाती के दौरान उन्होंने पीसीएस परीक्षा की तैयारी की। 22 फरवरी 2019 को जारी पीसीएस 2016 के परिणाम में श्याम बाबू का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हो गया था।

इस बीच उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को शिकायतें मिलीं कि कुछ अभ्यर्थियों ने अनुसूचित जनजाति (गोंड नायक) का फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर आरक्षण का लाभ लिया है। इस पर आयोग ने अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों की ओर से दिए गए जाति प्रमाणपत्रों की संबंधित जिलों में जांच कराई।

श्याम बाबू पुत्र धर्मनाथ राम बलिया में बैरिया तहसील के इब्राहिमाबाद उपरवार के रहने वाले हैं। बलिया के डीएम के निर्देश पर बैरिया के तहसीलदार ने श्याम बाबू की ओर से पेश किए गए गोंड जाति के अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र की जांच की।
जांच में श्याम बाबू का जाति प्रमाणपत्र फर्जी पाया गया। इससे पहले तहसीलदार ने श्याम बाबू को नोटिस भेजकर जवाब भी मांगा था। श्याम बाबू ने जवाब दिया था कि उनके पूर्वजों के पास जमीन नहीं थी। सो उन्होंने अपने गोन्हियाछपरा निवासी परमानंद शाह की 1359 फसली की खतौनी लगा दी।

तहसीलदार की ओर से डीएम को दी गई जांच रिपोर्ट में कहा गया कि उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय द्वारा कई मामलों में यह विधि व्यवस्था प्रतिपादित की गई है कि किसी व्यक्ति की जाति का निर्धारण उसके पिता से होता है, रिश्तेदारों की जाति से नहीं। इसके अलावा श्याम बाबू ने अपनी जाति गोंड के संबंध में जो प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए हैं, वे शासनादेश के आधारों को पूर्ण नहीं करते हैं। ऐसे में जाति प्रमाणपत्र शासनादेश के अनुसार वैध नहीं है।

Related Articles

Back to top button