कौशांबी : आज़ादी के सात दशक बाद भी ग्रामीणों को नही नसीब हुई सड़क
उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में एक ऐसा भी गांव है, जहाँ आज़ादी के सात दसक बीत जाने के बाद भी ग्रामीणों को सड़क जैसी मूलभूति सुविधाएं तक नही नसीब हुई है। आधुनिकता की इस दौर में इस गांव को बदहाली पर आँसू बहाने के लिए क्यों छोंड रखा गया है, इस सवाल का जवाब भी किसी के पास नही है।
गांव के बेबस लोग आज भी पगडंडियों के सहारे ही अपना पूरा जीवन व्यतीत करने पर मजबूर है। ऐसे में सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली योगी सरकार का यह दावा भी झूंठा साबित हो रहा है।
यूपी में चहुँओर विकास की रफ्तार की दुहाई देते नही थकते डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के तमाम दावे उन्ही के गृह जनपद कौशांबी में दम तोड़ रहा है। मूरतगंज ब्लॉक से महज 5 किलो मीटर की दूरी पर गंगा नदी किनारे बसे गंसरी गांव से उभर कर सामने आई इन बदहाल तस्वीरों ने सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली योगी सरकार के तमाम दावो को भी खोखला साबित कर दिया है। आजादी के सात दसक बाद भी ग्रामीणों को सड़क जैसे मूलभूति सुविधाएं तक नही नसीब हुई है।
गांव के दिनेश कुमार ने बताया कि आज़ादी के बाद भी इस गांव में कभी शहनाई नही बजी है। इस बात के गवाह यहाँ के कुंवारे लड़के है। क्योंकि गांव के लोगो के लिए आवा-गमन का कोई रास्ता न होने के कारण इस गांव में जो भी रिश्ता लेकर आता है वो पगडंडियों को देख कर रिश्ता करने से साफ इनकार कर जाता है।
गांव में करीब दो सौ ऐसे युवक-युवतियां है जिनकी शादी अभी नही हुई। ऐसे में गांव के लोग अपने लड़के व लड़कियों की शादी भी रिस्तेदारो के घरों से करते है।
गांव की बदहाली पर पूरी दास्तान मीडिया को सुनते हुए महफूज और हनीफ अहमद ने बताया कि गंसरी गांव में दूसरी सबसे बड़ी समस्या लोगो के स्वास्थ्य को लेकर है। यदि कोई बीमार हो जाता है, यह फिर किसी हादसे का शिकार हो जाता है तो ग्रामीणों को उसे चारपाई में लादकर पगडंडियों के ही सहारे लगभग दो किलो मीटर का लंबा सफर तय कर मुख्य मार्ग तक पहुंचना पड़ता है। जिसके बाद एम्बुलेंस आदि साधन का प्रबंध कर उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है। लेकिन कभी समय ऐसा भी आता है कि समय पर उपचार न मिल पाने से लोगो की मौत भी हो जाती है।
बद से बत्तर जिंदगी गुजार रहे इस गांव के ग्रामीणों को इस बात का खासा मलाल है कि देश-प्रदेश में निजाम बदलने के बाद भी आज तक इस गांव की तस्वीर नही बदली है। जिले के तीनों विधानसभा से विधायक और सांसद भी बीजेपी के है। सबसे प्रमुख बात तो यह है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का गृह जनपद भी कौशांबी है। इसके बावजूद भी दलित-मुस्लिम आबादी वाले इस गांव को बदहाली पर आंसू बहाने के लिए क्यों छोड़ रखा गया है? इस सवाल का जवाब भी कोई देने को नही तैयार है।
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