लखनऊ : गौशालाओं से पैदा होंगे रोजगार के नए अवसर….

गाय का गोबर सिर्फ उपले, खाद या बॉयोगैस बनाने के ही काम नहीं आता, बल्कि ये कमाई का जरिया भी बन सकता है।

गाय का गोबर सिर्फ उपले, खाद या बॉयोगैस बनाने के ही काम नहीं आता, बल्कि ये कमाई का जरिया भी बन सकता है। इसी गोबर से रोज़मर्रा के लिए उपयोगी कई कमाल की चीजें भी बन सकती हैं।

योगी सरकार ने इसके लिए पहल भी की है। प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना के तहत गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने एवम रोज़गार सृजन की कडी़ में तेजी से अग्रसर है। मुख्यमंत्री की गौ संरक्षण अभियान के चलते अब तक प्रदेश के 11.84 लाख निराश्रित गोवंशों में से अब तक 5 लाख 21 हज़ार गोवंशों को संरक्षित किया गया है। सरकार द्वारा 4500 अस्थायी निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल संचालित हैं। ग्रामीण इलाकों में 187 बृहद गौ-संरक्षण केंद्र बनाए गए हैं। शहरी इलाकों में कान्हा गोशाला तथा कान्हा उपवन के नाम से 400 गौ-संरक्षण केंद्र स्थापित किए गए हैं ।

वहीं जनपद आगरा की जिला जेल में बंद कैदी अन्य जनपदों के कैदियों के लिए उदाहरण बने हुए हैं। ये कैदी जेल के अंदर ही गाय के गोबर से बनी लकड़ी यानि गोकाष्ठ बनाते है जिसे दाह संस्कार में उपयोग किया जाता है। फ़िरोज़ाबाद के स्वर्ग आश्रम में भी इसी गोकाष्ठ का प्रयोग हो रहा है। लोगों की माने तो इस काष्ठ के प्रयोग से जहां दाह संस्कार में खर्च कम होता है वहीं पेड़ों को कटना भी नहीं पड़ता। इस गोकाष्ठ को लकड़ी के बुरादे, बेकार हो चुका भूसा और गाय के गोबर से तैयार किया जाता है। जनपद उन्नाव के कल्याणी मोहल्ला निवासी किसान व पर्यावरण प्रेमी रमाकांत दुबे ने भी इस ओर पहल की है । रमाकांत  दूबे का 75 हजार से एक लाख रुपये लागत वाला  प्लांट रोज दो क्विंटल गो-काष्ठ तैयार करता है। इसके लिए गौ आश्रय स्थलों से गोबर खरीदा जाता है, इस आमदनी से गौ आश्रय स्थलों में गौ-सेवा सम्भव होगी।

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