शनि-चक्र : शनि जी की कुदृष्टि से बचने का यह व्रत प्रभावशाली उपाय ! जाने ये खबर

न्याय का देवता शनि महाराज इस दिन अपने भक्तों पर उनकी आराधना करने पर अत्यधिक प्रसन्न होते है

जब किसी माह में दो एकादशी पड़ती है तब शनि त्रयोदशी का अभीष्ट योग बनता है। कहा जाता है की शनि महाराज जिन्हें न्याय का देवता माना जाता है , वे इस दिन अपने भक्तों पर उनकी आराधना करने पर अत्यधिक प्रसन्न होते है। हम आपको बताने जा रहे है की आखिर इस शुभ दिन में उनकी पूजा करने पर कौन कौन से अभीष्ट फलों की प्राप्ति होती है। आइए जानते है :

मन की हर कामना पूरी

कहा जाता है की यदि इस दिन जातक ध्यानमग्न होकर शनि देव जी की आराधना करे तो उसकी हर तरह की मनोकामनाओ की पूर्ति अतिशीघ्र हो जाती है। बसर्ते साधक ने सरे नियम कायदों का सही से पालन किया हो।

शिव जी का आशीर्वाद

उस दिन यही भक्त सच्चे मन से आराधना करता है तो उसको शनि देव के साथ साथ भगवान शिव की भी आराधना फल प्राप्त होता है। क्योंकि त्रयोदशी व्रत को शिव जी को प्रसन करने के लिए भी किया जाता है।

दूर होता है चंद्र दोष :

यदि किसी की कुंडली में चन्द्रमा की दशा ख़राब हो तो उसको यह व्रत अवश्य करना चाहिए। इस व्रत को करने से उसको चंद्र के सुधार होने से शुक्र भी सुधरता है और शुक्र से सुधरने से बुध भी सुधर जाता है।

मानसिक बेचैनी और दरिद्रता से मुक्ति :

इस व्रत का सबसे अच्छा फायदा यह है की व्यक्ति के मन की बैचेनी और भय का समाधान तो हो ही जाता है इसके साथ ही दरिद्रता भी दूर हो जाती है।

महाराज शनिदेव का विशेष आशीर्वाद :

शनिवार के दिन इस व्रत को करने से शिव जी के साथ शनिदेव जी की साढ़े साती से भी मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही उसपर ढैयाका भी प्रकोप समाप्त होता है।

Related Articles

Back to top button