इस वजह से इंदिरा गांधी को चढ़ी थी 80 बोतले खून, वजह जान दंग रह जाएंगे
भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इन्दिरा का जन्म 19 नवम्बर 1917 को एक राजनीतिक परिवार में हुआ था।
भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इन्दिरा का जन्म 19 नवम्बर 1917 को एक राजनीतिक परिवार में हुआ था। इन्दिरा गांधी के पिता जवाहरलाल नेहरू और इनकी माता कमला नेहरू थीं। इंदिरा गांधी ने अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद , शान्तिनिकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित विश्व-भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। जहां रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इन्हे “प्रियदर्शिनी” नाम दिया था।
इंदिरा गांधी ने अपना राजनीतिक सफर के दौरान देश के हित के लिए कई बड़े अहम फैसले लिए, वहीं इन फैसलो के कारण वो कई बार विवादों में भी घिरी रही । उन्हीं फैसलों में एक फैसला आपातकाल था। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी की हत्या 31 अक्टूबर 1984 को उनके ही सिख अंगरक्षकों बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने की थी और अपनी हत्या के दिन वो रूटीन चेकअप के लिए डॉक्टर से मिलने जा रही थी। वहीं उस दिन घर से निकलते समय उन्होंने अपनी बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं पहनी थी।
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आपको बता दे कि, इंदिरा गांधी सुबह 9.12 बजे अपने सरकारी आवास से सफदरजंग रोड से जा रही थीं। इसी दौरान उनके बॉडीगार्ड ने उन पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। जिसके कारण वह बुरी तरह से घायल हो गई। जिसके बाद उन्हें एम्स में ले जाया गया। मिली जानकारी के मुताबिक जब इंदिरा गांधी को अस्पताल ले जाया दा रहा था उस वक्त उनकी धड़कने बहुत तेज हो गई थी। उनकी आँखों की पुतलियाँ घिस गईं, जिसे ये जाहिर गो रहा था कि उनकी हालात खराब हो रही है। कहा जाता है कि, अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टरों ने इंदिरा गांधी के मुंह के माध्यम से एक ट्यूब को उसके विंडपाइप में डाला गया ताकि ऑक्सीजन फेफड़ों तक पहुंच सके। जिसके बाद उन्हें 80 बोतल खून भी चढ़ाया गया, लेकिन हालत गंभीर होने की वजह से डॉक्टर उनकी जान नहीं बचा पाए।
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