प्रदेश के अन्न दाता पर दोहरी मार, एक तो कोरोना का कहर और खेतों में गेहूं की फसल तैयार

आज पूरा विश्व कोरोना की चपेट में हैं. भारत भी इस महामारी से अछूता नहीं है. आज देश में २१ दिनों का लॉक डाउन घोषित है. इस लॉक डाउन के कारण किसी को भी बाहर निकलने की इजाजत नहीं है. सभी को अपने घरों में ही रहने का निर्देश दिया गया है. ऐसे समय में गरीबों और मजदूरों के लिए रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. न तो इनके पास भोजन है और न ही इनके पास काम जिससे ये पैसे कमा सके.

कुदरत की दोहरी मार तो हमारे किसान भाइयों पर पड़ रही है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि एक तो कोरोना का कहर और दूसरी गेहूं की खड़ी फसल कटने को तैयार है और उन्हें काटने की कोई व्यवस्था नहीं है. ऐसे हालातों में हमारा अन्न दाता करे भी तो क्या करे. अगर सही समय पर गेहूं की फसल नहीं काटी गयी तो पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी।

लॉक डाउन का असर खेती किसानी पर भी पड़ रहा है, किसानों की गेहूं की फसल पक कर तैयार है लेकिन मज़दूरों में कोरोना का डर और सरकार के लॉक डाउन के आदेश किसानी पर भारी पड़ रहा है। ऐसे में अगर प्राकृतिक आपदा आती है तो निश्चित ही इसका खामयाजा अन्नदाता को भुगतना पड़ेगा। आपको बता दें कि, सरकार की तरफ से अब तक किसानों की फसल कटाई के लिए आदेश निर्गत नही किये गए है। जबकि कंपाइंडऔर मज़दूरों की अनुपलब्धता भी अन्नदाता के माथे पर बल दे रही है।

अब सरकार की ये ज़िम्मेदारी बनती है कि वो गेहूं की फसल काटने का तत्काल प्रबंध करे और किसान की फसल को बर्बाद होने से बचाये। यूपी की सरकार को संकट के इस समय अन्नदाता के लिए हर संभव मदद करनी चाहिए वो भी जल्द से जल्द। अगर सरकार ने किसान भाइयों की समस्या का समय पर निदान नहीं किया तो इसका परिणाम पूरी जनता को महंगाई और काला बाजारी के रूप में भुगतना पड़ सकता है.

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