क्या दिवाली के पटाखों से बढ़ता है प्रदूषण? जानिए क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन?

दिवाली को रोशनी के त्योहार के रूप में जाना जाता है, और इसे पूरे देश में पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया भी जाता है।

दिवाली को रोशनी के त्योहार के रूप में जाना जाता है, और इसे पूरे देश में पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया भी जाता है। दिवाली भारत को सबसे बड़ा त्योहार है, जिसका इंतज़ार सभी को पूरे साल बेसब्री से रहता है। हालांकि, इस साल कोरोना वायरस महामारी और देश के कई हिस्सों में बढ़ते ख़तरनाक प्रदूषण की वजह से दिवाली पर कुछ समझौता करने पड़ेंगे।

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दिवाली के साथ यह बहस शुरू हो गई कि पटाखे फोड़ने से एयर पॉल्यूशन बढ़ता है। कुछ लोग इसके खिलाफ भी खड़े हैं और इसे धर्म व परंपरा से जोड़कर पटाखे फोड़ने की जरूरत बता रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने एयर पॉल्यूशन बढ़ता देख दिल्ली-एनसीआर में 9 से 30 नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। न सिर्फ दिल्ली, बल्कि देश के जिन-जिन राज्यों में एयर क्वालिटी खराब है, वहां भी पटाखे नहीं बेचे जाएंगे। हवा कितनी खराब या अच्छी है, इसे एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) से मापा जाता है।

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन-
तेज आवाज वाले पटाखों की बिक्री नहीं होगी।
केवल ग्रीन और सेफ पटाखे ही बेचे जाएंगे। पटाखे भी सिर्फ लाइसेंसधारी दुकानदार ही बेच सकते हैं।
अगर किसी इलाके में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का उल्लंघन होता है, तो इसका जिम्मेदार उस इलाके के थाना इंचार्ज को माना जाएगा।
दिवाली के दिन रात 8 से 10 बजे तक ही पटाखे जला सकते हैं। क्रिसमस और न्यू ईयर के दिन रात 11.55 से 12.30 तक ही पटाखे जलाने की छूट है।

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