लखनऊ : डॉक्टरों ने बिना चीरा लगाए युवती की बच्चेदानी का रास्ता बनाया

अक्सर देखने में आता है कि मरीज को परेशानी कुछ होती है और समझ में कुछ दूसरा आता है। फैजाबाद की रहने वाली 18 वर्षीय युवती साक्षी सिंह को काफी समय से बायीं तरफ पेट और पीठ में दर्द की शिकायत थी।

लखनऊ। अक्सर देखने में आता है कि मरीज को परेशानी कुछ होती है और समझ में कुछ दूसरा आता है। फैजाबाद की रहने वाली 18 वर्षीय युवती साक्षी सिंह को काफी समय से बायीं तरफ पेट और पीठ में दर्द की शिकायत थी। उन्हें यह समस्या पिछले चार-पांच साल से थी। इस मरीज को साथ ही साथ वाईट डिस्चार्ज ल्यूकोरिया की भी शिकायत थी और 4-5 माह से उसके वाइट डिस्चार्ज का रंग भी बदल रहा था।

तब उसने फैजाबाद के एक हॉस्पिटल में स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ को दिखाया, वहां पर डाक्टर ने बताया कि उसे चाकलेट सिस्ट की समस्या है और बिना सर्जरी ठीक नहीं हो सकती है। डाक्टर ने उसे किसी बड़े हॉस्पिटल में जाकर सर्जरी कराने की सलाह दी। तब युवती ने लखनऊ में पहले सरकारी अस्पताल में दिखाया, जहां डाक्टर ने बिना कोई जांच के उन्होंने हार्मोन्स असंतुलन की बात कही लेकिन कई तरह की दवाएं लेने के बाद भी उसे आराम नहीं मिला और युवती संतुष्ट नहीं हुई।

युवती के शरीर में दो यूटरस और 700 सीसी का सिस्ट था

फिर फैजाबाद के डॉक्टर ने सहारा हॉस्पिटल की डॉक्टर ऋचा गंगवार को दिखाने का परामर्श दिया। युवती ने फिर लखनऊ आकर सहारा हॉस्पिटल की वरिष्ठ स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. ऋचा गंगवार से परामर्श लिया, जहां उन्होंने युवती की कई जांचें करायी, इनमें एमआरआई, सी टी और अन्य ब्लड टेस्ट मतलब पूरी तरह से पूरी बाड़ी का चेकअप करवाया तो पता चला कि युवती के शरीर में दो यूटरस और 700 सीसी का सिस्ट था।

उसकी एक बच्चेदानी (दांयी तरफ की ) तो सामान्य थी लेकिन बाई तरफ की बच्चेदानी का रास्ता नहीं बना था जिस कारण महीने के दौरान होने वाला रक्तस्राव उसी के अंदर जमा होकर एक गांठ (सिस्ट) का रूप ले लिया था और यही उसके दर्द का कारण बना हुआ था। साथ ही युवती के शरीर में केवल एक ही किडनी थी। यह सब रेडियोलोजी के डॉ.नितिन अरुण दीक्षित ने एमआरआई और सी. टी. जांच करने के बाद बताया। यह देख कर डॉक्टर दंग रह गए क्योंकि इस प्रकार के कुछ ही केस विश्व भर मे पाये गए हैं।

रक्तस्राव बाहर नहीं आ पाता है और बच्चेदानी के अंदर ही एकत्रित हो जाता है

इसकी जानकारी के बाद पता चला कि यह एक प्रकार का सिंड्रोम है जिसे दृहरलाइन वर्रनर वुन्डरलिंच सिंड्रोम कहते हैं ज्यादातर महिलाओं मे जन्म से पूर्व दो बच्चेदानियाँ होती हैं, लेकिन धीरे-धीरे जैसे विकास होता है तो दोनों के बीच की झिल्ली हट जाती है और वह एक बच्चेदानी का आकार ले लेती हैं। इसी तरह हरलाइन वर्रनर वुन्डरलिंच सिंड्रोम एक अत्यन्त दुर्लभ जन्मजात विसंगति है जिसमे दो बच्चेदानियां होने के साथ सिर्फ एक ही किडनी होती है और साथ ही एक तरफ की बच्चेदानी का रास्ता भी नहीं बना होता है जिस कारणवश माहवारी के दौरान हुआ रक्तस्राव बाहर नहीं आ पाता है और बच्चेदानी के अंदर ही एकत्रित हो जाता है।

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सभी जांचों के बाद डा. ऋचा ने आपरेशन के लिए मरीज को भर्ती कर लिया। डा. ऋचा ने बताया कि जटिल सर्जरी थी क्योंकि दो यूटरस थे, एक किडनी भी नहीं थी और बच्चेदानी के साथ ट्यूब में भी ब्लड भर गया था। उन्होंने बिना चीरा लगाए दूरबीन (लैप्रोस्कोपी और हिस्टरोस्कोपी) विधि से युवती की बच्चेदानी का रास्ता बनाया और साथ ही ट्यूब और ओवरी मे बन गयी गांठ का भी ऑपरेशन किया और कई रिसर्च भी किये जिसके अनुसार इस प्रकार के यूटरस और स्त्रियों को जननेन्द्रियों की आनुवांशिक त्रुटियों के कारण स्त्रियों को बांझपन और बार-बार गर्भपात होने की समस्या से ग्रसित होना पड़ता है।

बेहतर स्वास्थ्य के लिए विश्वस्तरीय हॉस्पिटल दिया है

इसी कारण इसका समय पर पता लगाना और शल्य चिकित्सा से उपचार परम् आवश्यक है। इस प्रकार की आनुवांशिक त्रुटियों को पता करने में और उसका दूरबीन विधि से उपचार करने में सहारा हॉस्पिटल के रेडियोलोजी और गॉयनाकोलोजी विभाग दक्ष है। इन्हीं सुविधाओ ं और अपने अनुभव व चिकित्सकीय दक्षता से युवती का सफल आपरेशन किया गया और लम्बे समय से चल रही युवती की समस्या खत्म हो गयी। सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सलाहकार अनिल विक्रम सिंह ने बताया कि हमारे मुख्य अभिभावक सहाराश्री ने लखनऊवासियों को बेहतर स्वास्थ्य के लिए विश्वस्तरीय हॉस्पिटल दिया है, जहां 50 से अधिक विभाग, 24 घंटे गुणवत्तापूर्ण व विश्वसनीय फार्मेसी (दवाखाना), अत्याधुनिक उपकरणों एवं अनुभवी चिकित्सकों द्वारा निरन्तर लोगों का उचित दर में इलाज उपलब्ध है। यहां का स्त्री एवं प्रसूति विभाग सभी प्रकार की जटिल सर्जरी की चुनौती स्वीकार कर निरन्तर नये आयाम स्थापित कर रहा है।

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