क्या आप जानते है- छापेमारी में मिली रकम का ED क्या करती है?

जब ईडी किसी की प्रॉपर्टी को अटैच करती है, तो उस पर बोर्ड लगा दिया जाता है, जिस पर लिखा होता है इस संपत्ति की खरीद-बिक्री या इसका इस्तेमाल नहीं हो सकता है। 

किसी के पास से जब्त की गई कैश को ED अपने साथ ले जाती है। उसमें से जो रकम सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश करने होते हैं, उन्हें सील बंद लिफाफे में रख दिया जाता है। बाकी रकम केंद्र सरकार के खाते में जमा कर दी जाती है। कोर्ट का फैसला आने के बाद तय होता है कि उस रकम का क्या होगा? कोर्ट में जांच एजेंसी को साबित करना होता है कि जब्त किया गया कैश या अन्य संपत्ति गैर कानूनी या गलत ढंग से हासिल की गई है। अगर एजेंसी ये साबित नहीं कर पाती है तो उसे जब्त की गई पूरी रकम लौटानी होती है। वहीं, अगर एजेंसी आरोप साबित कर देती है तो सरकार पूरी रकम अपने पास रख सकती है या कुछ जुर्माना लगाकर उसे वापस कर सकती है।

प्रॉपर्टी को अटैच करती है

इसी तरह ईडी के पास प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के सेक्शन 5 (1) के तहत संपत्ति को अटैच करने का अधिकार है। अदालत में संपत्ति की जब्ती साबित होने पर इस संपत्ति को पीएमएलए के सेक्शन 9 के तहत सरकार कब्जे में ले लेती है। जब ईडी किसी की प्रॉपर्टी को अटैच करती है, तो उस पर बोर्ड लगा दिया जाता है, जिस पर लिखा होता है इस संपत्ति की खरीद-बिक्री या इसका इस्तेमाल नहीं हो सकता है।

180 दिन बाद संपत्ति खुद ही रिलीज हो जाएगी

कई मामलों में घर और कॉमर्शियल प्रॉपर्टी को अटैच किए जाने पर उनके इस्तेमाल को लेकर छूट भी है। पीएमएलए के तहत ईडी अधिकतम 180 दिन यानी 6 महीने के लिए किसी संपत्ति को अटैच कर सकती है। अगर तब तक ईडी संपत्ति अटैच करने को अदालत में वैध नहीं ठहरा पाती है तो 180 दिन बाद संपत्ति खुद ही रिलीज हो जाएगी, यानी वो अटैच नहीं रह जाएगी।

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