क्या आप जानते है? भगवान हनुमान के थे इतने भाई..
क्या आपको पता है कि हनुमानजी के कितने भाई थे? बहुत कम ही लोगों को यह जानकारी होगी कि हनुमानजी के कितने भाई थे।
क्या आपको पता है कि हनुमानजी (hanuman ji) के कितने भाई थे? बहुत कम ही लोगों को यह जानकारी होगी कि हनुमानजी के कितने भाई थे। उनमें से भी सगे भाई कितने थे। यदि भाई थे तो हनुमानजी क्या सबसे छोटे थे या कि बड़े?
दरअसल, वैसे तो रामभक्त और दूत हनुमानजी की कीर्ति रामचरितमानस में मिलती है। लेकिन इसके पहले लिखे गए ग्रंथों में उनके जीवन के बिखरे हुए कई अध्यायों का भिन्न भिन्न ग्रंथों से पता चलता है। वाल्मिकी रामायण, अद्भुत रामायण, आनंद रामायण आदि सैंकड़ों रामायण के अलावा पुराणों में उनके जीवन का यशगान किया गया है।
कभी संकट में नहीं रहता और न ही उसे किसी भी प्रकार का भय रहा
वे एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनसे शक्तिशाली, विनम्र और तुरंत प्रसन्न होने वाला दूसरा कोई नहीं। चारों युग में वे विद्यमान रहते हैं। उनकी भक्ति करने वाला कभी संकट में नहीं रहता और न ही उसे किसी भी प्रकार का भय रहा।
संसार में बहुत से भक्त हुए हैं जिन्होंने प्रभु प्रेम में अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया लेकिन हनुमान जी का स्थान सबसे ऊंचा है। हनुमान जी के बारे में रामायण, श्रीरामचरितमानस, महाभारत समेत कई हिंदू धर्म ग्रंथों में मिलती है लेकिन ब्रह्मांडपुराण नाम के ग्रंथ में उनके बारे में कुछ बातें बताई गई हैं जिनका उल्लेख दूसरी जगहों पर नहीं मिलता है। खासतौर पर इसमें उनके परिवार के बारे में बताया गया है।
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ब्रह्मांडपुराण में हनुमान जी के पिता केसरी और उनके पुत्रों के बारे में बताया गया है। इसमें वानर राज केसरी के कुल 6 पुत्र बताए गए हैं। ब्रह्मांडपुराण में हनुमान जी और उनके भाइयों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। हनुमान महाऋषी गौतम की पुत्री अप्सरा पुंजिकस्थली अर्थात अंजनी के गर्भ से पैदा हुए।
राजा केसरी पत्नी अंजनी जब शृंगारयुक्त वन में विहार कर रही थीं तब पवन देव ने उनका स्पर्श किया, जैसे ही माता कुपित होकर शाप देने को उद्यत हुईं, वायुदेव ने अति नम्रता से निवेदन किया मां! शिव आज्ञा से मैंने ऐसा दु:साहस किया परंतु मेरे इस स्पर्श से आपको पवन के समान द्युत गति वाला एवं महापराक्रमी तेजवान पुत्र होगा। इसी पवन वेग जैसी शक्ति युक्त होने से सूर्य के साथ उनके रथ के समानांतर चलते-चलते अनन्य विद्याओं एवं ज्ञान की प्राप्ति करके अंजनी पुत्र पवन पुत्र हनुमान कहलाए।
हनुमान जी के 5 छोटे भाई थे
हनुमान जी अपने भाईयों में सबसे बड़े थे। उनके 5 छोटे भाई थे जिनके नाम- मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान, धृतिमान थे। उनके सभी भाई गृहस्थ थे और सभी संतान से युक्त थे।
महाभारत काल में पांडु पुत्र व बलशाली भीम को भी हनुमान जी का ही भ्राता कहा गया है। वहीं इस ग्रंथ में हनुमान जी के पुत्र का वर्णन भी है जिसका नाम मकरध्वज बताया गया है। मान्यता है कि राम भक्त हनुमान अपने भक्तों पर आने वाले तमाम तरह के कष्टों और परेशानियों को दूर करते हैं। मान्यता है कि हनुमान जी बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं। हनुमान जी राम भक्त हैं और उनकी शरण में जाने मात्र से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
माता-पिता के कारण हनुमानजी को आंजनेय और केसरीनंदन कहा जाता है। केसरीजी को कपिराज कहा जाता था, क्योंकि वे वानरों की कपि नाम की जाति से थे। अंजना अपनी अपनी युवा अवस्था में केसरी से प्रेम करने लगी। जिससे वह वानर बन गई तथा उनका विवाह वानर राज केसरी से हुआ।
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