धनतेरस के दिन करें ये उपाय, समाप्त होता है अकाल मृत्यु का भय
दुनिया भर के लोग इन दिनों दिवालीका इंतजार कर रहे हैं। बाजार गुलजार और घरों में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं।
दुनिया भर के लोग इन दिनों दिवालीका इंतजार कर रहे हैं। बाजार गुलजार और घरों में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। अपने करीबियों के लिए लोग इन दिनों गिफ्ट्स और मिठाइयां खरीदते दिख रहे हैं। दिवाली का पर्व धनतेरस से शुरू होता है। दो दिन बाद ही कुबेर भगवान का त्यौहार धनतेरस है। इस बार शुक्रवार यानी कि 13 नवंबर को धनतेरस का त्यौहार है। धनतेरस दो शब्दों से मिलकर बना है धन + तेरस इसका अर्थ है धन।
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धनतेरस के दिन अकाल मृत्यु का भय दूर करने के लिए विशेष प्रकार से पूजा की जाती है। इस दिन यमदीपदान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा सिर्फ दीपदान करके की जाती है। कुछ लोग नरक चतुर्दशी के दिन भी दीपदान करते हैं।
धनतेरस से जुड़ी पढ़ें ये एक पौराणिक कथा-
एक पौराणिक कथा के अनुसार, धनतेरस हिम नाम के एक राजा के बेटे के श्राप से संबंधित है। कहते हैं कि राजा हिम के बेटे को श्राप था कि शादी के चौथे दिन ही उसकी मृत्यु हो जाएगी। जब इस बात की जानकारी राजकुमार की पत्नी को हुई तो उसने एक योजना बनाई। उसने पति से शादी के चौथे दिन जगे रहने के लिए कहा। पति कही सो न जाएं इसके लिए वह लगातार गीत-कहानियां सुनाती रही। उसके बाद उसने दरवाजे पर सोने-चांदी और कई बहुमूल्य वस्तुएं भी रख दीं। घर के आसपास दीपक भी जलाएं। यम सांप के रूप में राजा हिम के बेटे की जान लेने के लिए आए और गहनों और दीपक की चमक से अंधे हो गए। वह घर में प्रवेश नहीं कर सके। वह गहनों के ढेर पर ही बैठे रहे और गीतों को सुनते रहे। सुबह होने पर यमराज राजकुमार की जान लिए बिना ही चले गए, क्योंकि राजकुमार के मृत्यु की घड़ी बीत चुकी थी।
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